नई दिल्ली,14 नवंबर . नए उभरते खतरों, चुनौतियों व उड़ान सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारतीय नौसेना ध्यान केंद्रित कर रही है. इसके अलावा साइबर सुरक्षा और हवाई संपत्तियों की सुरक्षा पर भी भारतीय नौसेना ने मंथन किया है. इसके लिए भारतीय नौसेना ने “उभरते खतरे और चुनौतियां-नौसेना वायु संचालन और उड़ान सुरक्षा के साथ अनुपालन” विषय पर संगोष्ठी आयोजित की. इसमें भारतीय वायु सेना के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस संगोष्ठी में समकालीन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया.
संगोष्ठी में काउंटर-यूएवी व यूएएस प्रौद्योगिकी और रणनीति में प्रगति, विमानन संचालन में साइबर सुरक्षा जोखिम और विमान प्रणालियों के लिए जवाबी उपाय पर चर्चा की गई. इसमें हवाई संचालन के दौरान मानसिक लचीलेपन के लिए ‘माइंडफुलनेस ट्रेनिंग’ के महत्व पर भी विचार-विमर्श किया गया. चर्चा में उभरते परिचालन जोखिमों के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया गया. हवाई संपत्तियों की सुरक्षा के लिए सेवाओं में साझा सतर्कता की आवश्यकता पर भी बल दिया गया. विचारों के आदान-प्रदान ने आधुनिक नौसेना विमानन की चुनौतियों के लिए अनुकूल रणनीतियों की बढ़ती आवश्यकता को रेखांकित किया.
संगोष्ठी में भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना, भारतीय तटरक्षक और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) जैसे प्रमुख रक्षा संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. नौसेना की वार्षिक उड़ान सुरक्षा बैठक और उड़ान सुरक्षा संगोष्ठी आईएनएस डेगा, विशाखापत्तनम में आयोजित की गई. इसमें वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पूर्वी नौसेना कमान शामिल हुए.
संगोष्ठी के माध्यम से भारतीय नौसेना के प्रमुख उड़ान सुरक्षा हितधारकों को एक साथ लाया गया. इसमें रियर एडमिरल जनक बेविल, सहायक नौसेना प्रमुख (वायु) ने बैठक की अध्यक्षता की. सुरक्षित उड़ान सुनिश्चित करने के लिए परिचालन जोखिम प्रबंधन के उद्देश्य से नौसेना में सुरक्षा सहमति पर विस्तार से चर्चा की गई. चर्चा में पक्षियों और जानवरों के खतरे को कम करने पर विचार-विमर्श किया गया. कार्यक्रम में उड़ान सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाने और नौसेना विमानन में तत्परता के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया गया.
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जीसीबी/