राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस 2025: देश की अर्थव्यवस्था में ‘एमएसएमई’ का अहम योगदान

New Delhi, 29 अगस्त . आर्थिक सशक्तीकरण में लघु उद्योगों के योगदान को ध्यान में रखते हुए देश में हर वर्ष 30 अगस्त को राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस मनाया जाता है. यह एक वार्षिक अवसर है, जिसे 30 अगस्त, 2001 से मनाया जा रहा है. India की पहचान एक कृषि प्रधान देश के रूप में होती है और देश की अर्थव्यवस्था में लघु स्तरीय उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस 2025 का मुख्य उद्देश्य लघु उद्योगों को बढ़ावा देना, रोजगार के अवसर पैदा करना, आर्थिक- कौशल विकास और इनोवेशन को बढ़ावा देना है.

India Government की ओर से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई पहलों को भी शुरू किया गया है. प्रमुख पहलों में उद्यम पंजीकरण पोर्टल, पीएम विश्वकर्मा योजना, पीएमईजीपी, एसएफयूआरटीआई (स्फूर्ति) और एमएसई के लिए सार्वजनिक खरीद नीति शामिल हैं.

अनौपचारिक सूक्ष्म उद्यमों को औपचारिक रुप से देश की अर्थव्यवस्था से जोड़ने के लिए India Government ने 11 नवंबर, 2023 को ‘उद्यम सहायता प्लेटफॉर्म’ की शुरुआत की थी. इस पहल का उद्देश्य उद्यमों को औपचारिक क्षेत्र के अंतर्गत लाना है, ताकि उन्हें प्राथमिकता क्षेत्र ऋण जैसे लाभ प्राप्त हो सकें.

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अनुसार, अभी तक, उद्यम असिस्ट प्लेटफॉर्म (यूएपी) को मिलाकर उद्यम पोर्टल पर कुल 6,77,06,336 पंजीकृत एमएसएमई हैं, जिनमें से अधिकांश को सूक्ष्म उद्यम के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

अपने आर्थिक योगदान के अलावा, एमएसएमई ने पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा किए हैं . देश भर में 29.44 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया है जो कि सामाजिक- आर्थिक विकास को बढ़ाने में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है.

इसी तरह, India Government द्वारा वर्ष 17 सितंबर, 2023 को ‘पीएम विश्वकर्मा’ योजना की शुरुआत की गयी . इस योजना का उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों के उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना है.

Prime Minister रोजगार निर्माण कार्यक्रम (पीएमईजीपी) योजना को माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और India Government द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

यह योजना खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी), Government द्वारा शुरू की गई है.

ये उद्यम गरीबों, महिलाओं, युवाओं और कमजोर समुदायों के बीच आजीविका और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाते हैं. इसलिए ये उद्यम आर्थिक संस्थाओं से बढ़कर समाज की रीढ़ भी हैं.

एसकेटी/