राष्ट्रीय डाक-तार दिवस 2025 : ‘डाकिया डाक लाया…’ वो दौर जब एक खत ही था प्यार, उम्मीद और खबर का जरिया

New Delhi, 9 अक्टूबर . हर साल 10 अक्टूबर को राष्ट्रीय डाक-तार दिवस मनाया जाता है. यह दिन हमें उस दौर की याद दिलाता है जब लोगों के बीच जुड़ाव का सबसे सुंदर माध्यम था चिट्ठी. आज जब मोबाइल, ईमेल और social media ने पूरी दुनिया को डिजिटल बना दिया है, तब वे पुराने कागज पर लिखे शब्द कहीं खो से गए हैं.

कभी डाकिया गांव-गांव, गली-गली घूमकर खुशखबरी या प्यार भरे संदेश पहुंचाता था. ‘डाकिया डाक लाया…’ जैसे गीत हर दिल को छू जाते थे. किसी के लिए चिट्ठी खुशी लाती थी तो किसी के लिए आंखों में आंसू. उस समय एक कागज का टुकड़ा ही रिश्तों की गहराई, इमोशंस और जुड़ाव का प्रतीक था. पर आज, एक सेंड बटन दबाते ही बात पहुंच जाती है. ये तेज जरूर है, लेकिन उस इंतजार की मिठास कहीं खो गई है.

राष्ट्रीय डाक-तार दिवस दरअसल India में डाक सेवा की शुरुआत की याद में मनाया जाता है. आज भी भारतीय डाक विभाग दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क में से एक है. एक समय था जब पोस्टमैन का आना हर घर में उत्सुकता पैदा करता था कि कोई Governmentी चिट्ठी, कोई नौकरी का पत्र, या किसी प्रियजन की लिखी पंक्तियां आई हुई होंगी. लेकिन डिजिटल युग ने सब कुछ बदल दिया है. अब ईमेल, व्हाट्सएप, और वीडियो कॉल ने मानो जैसे लिफाफों को घर से बाहर कर दिया है.

फिर भी, आज भी चिट्ठियों का भावनात्मक महत्व खत्म नहीं हुआ है. कई लोग अब भी विशेष मौकों पर अपने प्रियजनों को अपने हाथ से लिखे खत भेजते हैं. खासकर बुजुर्ग पीढ़ी के लिए यह अपने बीते समय से जुड़ने का एक तरीका है. वहीं, नई पीढ़ी के लिए चिट्ठी लिखना एक विंटेज ट्रेंड बन गया है, जैसे पुराने जमाने की यादों को फिर से जीना.

डाक सेवा अब केवल चिट्ठियों तक सीमित नहीं रही. अब डाक विभाग डिजिटल इंडिया का हिस्सा बन चुका है और स्पीड पोस्ट, पार्सल सेवा, बैंकिंग, ई-कॉमर्स डिलीवरी और यहां तक कि इलेक्ट्रॉनिक मनी ट्रांसफर जैसी आधुनिक सुविधाएं दे रहा है. यानी डाकिया अब सिर्फ खत नहीं, बल्कि आधुनिक India की गति भी लेकर आता है.

राष्ट्रीय डाक-तार दिवस हमें यह याद दिलाता है कि चाहे तकनीक कितनी भी आगे बढ़ जाए, भावनाओं का असली स्पर्श अब भी एक चिट्ठी के कागज में बसता है. डिजिटल दुनिया में लोग चिट्ठियां कम लिखते हैं, लेकिन उनके शब्द अब भी दिल छू लेते हैं.

पीआईएम/जीकेटी