राष्ट्रीय कैमरा दिवस : स्मृतियों को अमर करने और एक क्लिक की अनगिनत कहानियां

New Delhi, 29 जून . ‘एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती है’, यह कहावत जितनी पुरानी है, उतनी ही सच्ची है. स्मृतियों को कैद करने, इतिहास को स्थिर करने और भावनाओं को अमर बनाने वाला कैमरा समय को थाम लेने वाली एक जादुई मशीन है. कैमरे और उसकी कलात्मक दुनिया को सम्मान देने के लिए हर साल 29 जून को ‘राष्ट्रीय कैमरा दिवस’ मनाया जाता है.

पुरानी यादों को ताजा करने का प्रबल माध्यम कैमरा आज समाज की जीवनशैली का अहम हिस्सा बन गया है. ‘राष्ट्रीय कैमरा दिवस’ उन सभी स्मृतियों, कहानियों और संवेदनाओं को समर्पित है, जिन्हें कैमरे की नजर ने देखा और हमें हमेशा के लिए सौंप दिया. चाहे वह स्वतंत्रता संग्राम की तस्वीरें हों, चंद्रमा पर पहला कदम, सैनिक की विदाई हो या फिर दुल्हन की मुस्कान हो. कैमरे के आविष्कार से पहले किसी पल को हमेशा के लिए कैद रखने के लिए पेंटिंग ही एकमात्र साधन था. किसी व्यक्ति या स्थान की छवि को चित्र में कैद करने में समय और कौशल लगता था. हालांकि, बहुत कम लोग ही ऐसे हैं, जो समानता को पूरी तरह से चित्रित कर सकते हैं, किसी घटना के सार को कैद करना तो दूर की बात है.

11वीं शताब्दी में ‘कैमरा ऑब्स्क्योरा’ नामक एक सिद्धांत से कैमरे की शुरुआत हुई थी, जो एक पिनहोल के माध्यम से प्रकाश को पर्दे पर डालने की प्रक्रिया थी. इसके बाद समय बदलता गया और कैमरे का विकास होता गया. इसके बाद, 1839 में जब लुई डागुएरे ने डागुएरियोटाइप पेश किया, तो वह पहला व्यावसायिक कैमरा माना गया, जिसने स्थायी तस्वीरें बनाईं. India में कैमरे की शुरुआत 19वीं सदी में हुई. ब्रिटिश राज में जब कैमरा India आया, तब से लेकर आज तक इसने सामाजिक, सांस्कृतिक और Political इतिहास को एकत्र करने में अहम भूमिका निभाई है.

फोटोग्राफी केवल कला नहीं है, यह सामाजिक परिवर्तन का औजार भी है. युद्धों की भयावहता को सामने लाने से लेकर ग्रामीण India की असल तस्वीरें दिखाने से लेकर पर्यावरण संकट, मानवीय अधिकारों, सांस्कृतिक विविधताओं को सामने लाने तक हर पहलू में कैमरे की भूमिका मूल्यवान रही है. आधुनिक समय में फोटोजर्नलिज्म एक प्रभावशाली माध्यम बन चुका है. जैसे कलम की ताकत से Government तक हिल जाती है, उसी तरह कैमरे की एक क्लिक भी Government को हिलाने, जनमत बनाने और न्याय की मांग उठाने के लिए काफी है.

आज के डिजिटल युग में कैमरे के स्वरूप ने चमत्कारी रूप ले लिया है. डिजिटल कैमरा, डीएसएलआर, मिररलेस कैमरा, ड्रोन कैमरा और मोबाइल कैमरा ने फोटोग्राफी तक आम आदमी की पहुंच को आसान कर दिया है. इसके अलावा, एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और मशीन लर्निंग आधारित फोटो एडिटिंग ने अब तस्वीरों को नई परिभाषा दी है.

29 जून की तारीख कैमरे और फोटोग्राफरों के योगदान को पहचानने के साथ-साथ युवाओं को इस कला से जुड़ने के लिए प्रेरित करता है. अपने लेंस के माध्यम से एक फोटोग्राफर हर रोज कई कहानियां कह रहे होते हैं. कई बार एक क्लिक के लिए वह जोखिम तक उठाने को तैयार रहते हैं, लेकिन गुमनामी में रह जाते हैं.

पीएसके/जीकेटी