वॉशिंगटन, 15 अप्रैल . भारतीय मूल की नीला राजेंद्र, जो नासा में विविधता, समानता और समावेश (डीईआई) के कामों की प्रमुख थीं, को उनके पद से हटा दिया गया है. यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस कार्यकारी आदेश के तहत उठाया गया है, जिसमें सभी संघीय एजेंसियों में डीईआई कार्यक्रमों को समाप्त करने के निर्देश दिए गए हैं.
राजेंद्र की बर्खास्तगी ऐसे समय में हुई है जब नासा के भीतर कई प्रयास किए गए थे कि उन्हें किसी नए पद के साथ बनाए रखा जाए.
मार्च में नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) ने उन्हें “टीम उत्कृष्टता और कर्मचारी सफलता का कार्यालय” नामक एक नए विभाग का प्रमुख नियुक्त किया था. यह कदम व्यापक रूप से इस प्रयास के रूप में देखा गया कि उन्हें ट्रंप के आदेश के प्रभाव से बचाया जा सके.
हालांकि, भले ही उनका पद बदला गया हो, लेकिन उनके कार्य जैसे कि कर्मचारी सहायता कार्यक्रमों का संचालन और “ब्लैक एक्सीलेंस स्ट्रेटेजिक टीम” जैसे समूहों का प्रबंधन – लगभग वही रहे. ट्रंप प्रशासन द्वारा डीईआई कार्यक्रमों पर सख्ती बढ़ाने के बाद अंततः उन्हें पद से हटा दिया गया.
जेपीएल के भीतर पिछले सप्ताह भेजे गए एक आंतरिक ईमेल में राजेंद्र की विदाई की पुष्टि की गई. जेपीएल की निदेशक लॉरी लेशिन द्वारा भेजे गए मेल में कहा गया, “नीला राजेंद्र अब जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी में कार्यरत नहीं हैं. उन्होंने संगठन पर जो स्थायी प्रभाव डाला है, उसके लिए हम अत्यंत आभारी हैं और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं.”
नीला राजेंद्र नासा में अपने वर्षों के कार्यकाल के दौरान विविधता और समावेशन बढ़ाने की कई पहलों में अग्रणी रही हैं. उन्होंने “अंतरिक्ष कार्यबल 2030” जैसे अभियान का नेतृत्व किया था, जिसका उद्देश्य नासा के कार्यबल में महिलाओं और वंचित समुदायों की भागीदारी बढ़ाना था.
उनकी बर्खास्तगी ट्रंप प्रशासन की उस व्यापक नीति का हिस्सा है जिसके तहत संघीय एजेंसियों से सैकड़ों डीईआई से जुड़े पद समाप्त किए जा चुके हैं. राष्ट्रपति ट्रंप के अनुसार, ये कार्यक्रम सार्वजनिक धन का दुरुपयोग करते हैं, विभाजन को बढ़ावा देते हैं और भेदभावपूर्ण व्यवहार को जन्म देते हैं.
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पीएसएम/एएस