1999 में घायल सैनिकों से मिले थे नरेंद्र मोदी, मुलाकात ने भर दिया था जोश : रिटायर्ड मेजर जनरल विजय जोशी

नई दिल्ली, 26 जुलाई . देश कारगिल विजय दिवस को गर्व से याद कर रहा है. ऐसा ऐतिहासिक अवसर जब भारतीय शूरवीरों ने पाकिस्तानी सैनिकों के दांत खट्टे कर मैदान ए जंग से खदेड़ दिया था. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्रास पहुंचे और शहीदों को नमन किया. वहीं, भारतीय थल सेना के मेजर जनरल विजय जोशी (सेवानिवृत्त) ने उस दौर को याद किया जब वर्तमान पीएम बतौर भाजपा राष्ट्रीय महासचिव घायल सैनिकों से मिलने पहुंचे थे.

मेजर जनरल विजय जोशी बताते हैं, “1999 का साल था. मैं उधमपुर सैन्य कमांड अस्पताल के कमांडेंट के तौर पर तैनात था. उसी दौरान कारगिल युद्ध में घायल सैनिकों से मिलने पहुंचे थे नरेंद्र मोदी जी. वो एक अहम दौरा था.” उत्तरी कमांड के इस सबसे बड़े अस्पताल में कारगिल योद्धाओं का इलाज हो रहा था और उनकी देखभाल की जा रही थी.

जोशी आगे कहते हैं, “नरेंद्र मोदी जी के दौरे ने सैनिकों में जोश भर दिया था. स्थिति की गंभीरता के बावजूद, मोदी की मौजूदगी ने सैनिकों पर गहरा प्रभाव डाला. वो सबसे मिले, उन्हें सहज बनाया और उनका मनोबल बढ़ाया. कई लोग हताहत हुए, कुछ गंभीर रूप से घायल हुए थे और अन्य अपेक्षाकृत स्थिर स्थिति में थे. मोदी प्रत्येक व्यक्ति से मिले. वह शांत, संयमित और ऊर्जा से भरपूर थे यानी जोश से भरे हुए थे.”

रिटायर्ड मेजर जनरल के मुताबिक नरेंद्र मोदी की क्षमता अभूतपूर्व थी. कहते हैं, “सैनिकों से जुड़ने की उनकी क्षमता उल्लेखनीय थी. जब उन्होंने उनके परिवारों, घरों और उनकी किसी भी विशिष्ट जरूरत के बारे में पूछा तो वे सहज महसूस कर रहे थे. वो एक-एक कर सबसे मिले, आत्मीयता साफ झलक रही थी. सैनिक, बीमार और स्टाफ सबसे मिले और सबने काफी सराहा.” जोशी याद करते हैं कि ऐसी कठिन परिस्थितियों में सभी को सहज रखने की मोदी की अनोखी क्षमता सबसे अलग थी.

इसमें न केवल घायल सैनिक बल्कि अस्पताल के कर्मचारी भी शामिल थे. उन्होंने सभी को उनकी जरूरत के अनुसार सहायता का आश्वासन दिया, जिसने उनके मनोबल को बढ़ाने में बहुत मदद की. जोशी कहते हैं कि मोदी की मौजूदगी सच्ची देशभक्ति को दर्शाती है.

वो मानते हैं कि राष्ट्रीय समर्थन की यह भावना उनके मनोबल को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण थी. यह जानना कि सरकार और लोग हमेशा उनके साथ हैं, यहां तक ​​कि सबसे कठिन समय में भी, उन्हें कर्तव्य की पंक्ति में अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करता है.

उनकी यात्रा का एक प्रमुख पहलू जो बहुत अहम है वो ये कि उन्होंने युद्ध से जुड़े विवरणों और सैनिकों से उनके परिवारों की व्यक्तिगत स्थितियों के बारे में बात की. उस समय किसी भी प्रशासनिक पद पर न होने के बावजूद, वे जमीनी हकीकत को देखने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ आए थे. उनका लक्ष्य तात्कालिक स्थिति के साथ-साथ सैनिकों के जीवन को करीब से समझना था. इसमें सेना के अस्पताल की ओर से बीमारों के लिए मौजूद सहायता प्रणाली का आकलन भी शामिल था. उन्होंने अपनी मौजूदगी से साबित कर दिया कि वो सच्चे राष्ट्र भक्त हैं.

केआर/