लखनऊ, 1 मार्च . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र कुमार ने शनिवार को श्री गुरु वशिष्ठ न्यास द्वारा आयोजित विचार महाकुंभ ‘राम परिषद’ के प्रथम वैचारिक सत्र में ‘भारत निर्माण यात्रा के 100 वर्ष’ विषय पर बोलते हुए कहा कि संघ को जानने के लिए संघ से जुड़ना जरूरी है और इसके लिए जाति की कोई बाध्यता नहीं है.
नरेंद्र कुमार ने कहा कि संघ अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण करने जा रहा है. आज के मौजूदा परिवेश में संघ को सब जानना चाहते हैं. समाज के सभी वर्गों में ऐसी जिज्ञासा विकसित हुई है. संघ को समझने के लिए संघ के अंदर आना होगा. संघ को जानिए, यदि अच्छा लगे तो रुकिए, नहीं तो जाने के लिए कोई बाध्यता नहीं है. संघ में किसी की जाति नहीं पूछी जाती. हम इसके आधार पर अपना काम भी नहीं करते. इसका उल्लेख महात्मा गांधी ने भी स्वयं किया था.
उन्होंने कहा कि संघ की स्थापना हिंदू समाज को जागृत एवं एकजुट करने के लिए की गई थी. समय-समय पर जो भी आवश्यकताएं आईं, संघ ने उसमें बदलाव किया है. इसी कारण आज हम 100 वर्ष पुराने सामाजिक संगठन बने हुए हैं. विचार, संगठन एवं कार्य ही संघ के तीन प्रमुख अंग हैं. भारत प्राचीनकाल से सनातन राष्ट्र है, हिंदू राष्ट्र है. इस विषय पर अनेक मत हैं, लेकिन संघ यह मानता है कि वेदकाल से ही भारत पुरातन हिंदू राष्ट्र है. इसी को आधार मानकर संघ काम करता है. समाज का उत्थान एवं उसका संगठन करना यानी व्यक्ति निर्माण करना और इससे राष्ट्र निर्माण होगा, यह संघ का मानना है. व्यक्ति निर्माण के लिए हमारी शाखा है. इसी से समाज और फिर राष्ट्र निर्माण हो सकेगा.
उन्होंने कहा कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन संघ का मुख्य कार्य है. हमने इसके लिए पंच निष्ठाएं तय की हैं, जिन पर संघ कार्य कर रहा है. समरसता एक विषय है. जाति विभेद आज भी बड़ी समस्या है. संघ का मानना है कि इसे समाप्त करना होगा. समाज में समरसता के लिए बहुत से महापुरुषों ने काम किए हैं. दुर्भाग्यवश अभी इसमें सफलता नहीं मिली है. हर गांव में एक कुआं, एक मंदिर और एक श्मशान होना चाहिए. संघ ने इस दिशा में काम किया है. कुटुंब प्रबोधन दूसरा विषय है. आज परिवार टूट रहे हैं, छोटे हो रहे हैं. यह विकृति आ रही है. दुनिया हमसे यही व्यवस्था सीखना चाहती है. हम इस दिशा में काम कर रहे हैं. तीसरा विषय पर्यावरण है, हम प्रकृति का दोहन कर रहे हैं, इसके लिए पौधरोपण, जल की स्वच्छता और अनावश्यक दोहन बंद करना होगा. साथ ही प्लास्टिक कचरे से मुक्ति प्रमुख है.
उन्होंने कहा कि चौथा विषय स्व आधारित जीवन शैली है. देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो चुके हैं. हमें अपनी समस्याओं का समाधान स्वयं करना होगा. हर समस्या के लिए अंग्रेज दोषी नहीं हैं. हमें अपना स्व का जागरण करना होगा और अपनी समस्याएं स्वयं सुलझानी हैं. नागरिक कर्तव्य पांचवां विषय है, हम अपने अधिकारों के लिए तो हर जतन करते हैं, लेकिन संविधान में नागरिक कर्तव्य भी हैं. देश को आगे ले जाने के लिए नागरिक कर्तव्य जो सुनिश्चित किए गए हैं, उनका पालन भी करना चाहिए. संघ शताब्दी वर्ष पूर्ण होने पर हम इन पांच बातों को समाज के बीच ले जाना चाहते हैं. समाज को साथ लेकर और समाज के सहयोग से ही ये कार्य किए जाने हैं. यह समाज परिवर्तन के लिए आवश्यक हैं.
उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में हमने सुनिश्चित किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में हर मंडल तक संघ का कार्य या शाखा चले, 10 हजार की आबादी पर संघ का काम हो. अभी हम पिछले एक वर्ष में 65 हजार नए स्थानों पर संघ का कार्य करने में सफल रहे हैं. करीब 40 संगठन विविध क्षेत्र में संघ की प्रेरणा से चलते हैं. लोग इन्हें संघ का आनुषंगिक संगठन कहते हैं. ये सभी संगठन स्वायत्त हैं. आज संघ के 50 लाख से अधिक प्रशिक्षित स्वयंसेवक समाज और देशहित का कार्य कर रहे हैं. वे सभी संघ के प्रचारक नहीं हैं. वे हमारी-आपकी तरह ही समाज के विविध क्षेत्रों में अपना काम कर रहे हैं, जो समाज की आवश्यकतानुसार उसकी समस्याओं का समाधान करते हैं.
उन्होंने बताया कि महाकुंभ में संघ की एक संस्था सक्षम ने नेत्रकुंभ लगाया था. करीब ढाई लाख लोगों की आंखों की निःशुल्क जांच की. डेढ़ लाख लोगों को चश्मे दिए. वहीं, 16 हजार लोगों की आंखों के ऑपरेशन किए गए. ये ऑपरेशन देश के दो सौ चिकित्सालयों में किए गए. यह पूरा कार्य निःशुल्क और समाज के सहयोग से हुआ. इसका उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में किया.
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