महाकुंभ में नागा संतों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए भरी हुंकार

महाकुंभ नगर, 15 फरवरी . संगम की रेत पर एकजुट होकर नागा साधुओं ने शनिवार को पर्यावरण संरक्षण के लिए हुंकार भरी. इस ऐतिहासिक आयोजन में विभिन्न अखाड़ों के नागा साधुओं ने पारंपरिक पूजा-अर्चना के साथ नदी शुद्धिकरण का संकल्प लिया.

नागा संन्यासियों को संबोधित करते हुए वाटर वुमन शिप्रा पाठक ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर यदि आज हम नहीं जागे तो आने वाली पीढ़ियां महाकुंभ के मोक्ष और पुण्य को तरस जाएंगी.

कार्यक्रम के दौरान नागा साधुओं ने संकल्प लिया कि हर व्यक्ति हर वर्ष एक पौधा लगाएगा और उसका संरक्षण करेगा. इस पहल के जरिए देशभर में पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया.

अमृतेश्वर महादेव पीठाधीश्वर सहदेवानंद गिरी जी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है, जब अध्यात्म और पर्यावरण एक साथ खड़े हैं.

दिगंबर शक्ति गिरि ने कहा कि इस पहल को पूरे देश में फैलाया जाएगा जिससे देश को हरा-भरा बनाया जा सके. महाकुंभ में हुए इस अनोखे संगम ने यह सिद्ध कर दिया कि जब धर्म और पर्यावरण एक साथ आते हैं, तो एक नया जागरण जन्म लेता है.

संतों ने कहा कि नागा साधु केवल तपस्वी नहीं, बल्कि राष्ट्र रक्षक होने का इतिहास भी रखते हैं. जब-जब राष्ट्र पर आक्रमण हुआ, नागाओं ने तलवार उठाई है. अब समय आ गया है कि वे त्रिशूल, डमरू और तलवार के साथ यह संदेश दें कि नदियों के दोहन को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

एबीएम/एकेजे