मुंबई, 21 फरवरी . शिवसेना नेता संजय निरुपम ने शुक्रवार को से बात करते हुए मुंबई में बढ़ते ‘हाउसिंग जिहाद’ के मामले पर गंभीर चिंता जताई. उन्होंने इस मामले को लेकर एक चिट्ठी महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और आवास मंत्री एकनाथ शिंदे को भेजी है और उनसे पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच करने की मांग की है.
निरुपम ने कहा कि मुंबई में मुस्लिम बिल्डर्स द्वारा धोखाधड़ी और फर्जी तरीके से बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स पास करवा कर मुस्लिम आबादी को बढ़ाने की साजिश चल रही है. इसके तहत मुस्लिम डेवलपर्स छोटे-छोटे इलाकों में हिंदू बहुल सोसायटी में अचानक से अधिक घरों का निर्माण करवा रहे हैं और उन घरों को मुस्लिम परिवारों के नाम पर अलॉट कर रहे हैं.
उदाहरण के तौर पर, उन्होंने एक सोसायटी का उल्लेख किया जिसमें 67 घर थे, जिनमें से केवल पांच-छह घर मुसलमानों के थे, लेकिन बाद में उस सोसायटी को बढ़ाकर 123 घर का कर दिया गया और सभी नए घर मुस्लिम परिवारों के नाम पर कर दिए गए. यह पूरी प्रक्रिया जानबूझकर मुस्लिम जनसंख्या बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है, जिसे वे ‘हाउसिंग जिहाद’ कह रहे हैं.
निरुपम ने यह भी कहा कि यह काम छोटे अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है जो रिश्वत लेकर फर्जी तरीके से इन बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स को पास करवा रहे हैं. उन्होंने यह भी बताया कि कुछ इलाकों में मुस्लिम बहुलता बढ़ाने के लिए इस तरह के प्रोजेक्ट्स का काम हो रहा है, जैसे अंधेरी, बांद्रा, कुर्ला, साकीनाका और अन्य मुस्लिम बहुल इलाकों में.
इस मामले में बांग्लादेशी नागरिकों की संलिप्तता का भी आरोप लगाया गया है. एक विशेष प्रोजेक्ट में एक बांग्लादेशी नागरिक का नाम सामने आया, जिसे फर्जी तरीके से पास करवा कर उसे घर आवंटित किया गया. हालांकि निरुपम ने उस बांग्लादेशी नागरिक का नाम सार्वजनिक करने से पहले पूरी जांच के लिए कागजात का इंतजार करने की बात कही.
संजय निरुपम ने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में शीर्ष स्तर पर कोई बड़ा व्यक्ति शामिल नहीं है, बल्कि यह काम छोटे अधिकारियों के माध्यम से किया जा रहा है, जो पैसा लेकर इन धोखाधड़ी की गतिविधियों में शामिल हैं.
इस बीच, उद्धव ठाकरे ने इस प्रकरण पर टिप्पणी करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, और वह जापान के भूकंप के जैसे धक्के महसूस कर रहे हैं. निरुपम ने इस बयान पर तीखा पलटवार करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे जापान के नहीं, पाकिस्तान के हो गए हैं और वह ‘धक्का पुरुष’ नहीं, ‘मक्का पुरुष’ बन गए हैं.
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पीएसके/एकेजे