ढाका, 1 सितंबर . बांग्लादेश अवामी लीग ने Monday को देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में से एक जातीय पार्टी (जापा) के कार्यालय पर हुए हमले, तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की कड़ी निंदा की.
मीडिया के मुताबिक, Saturday शाम को ढाका के ककरैल स्थित जापा के केंद्रीय कार्यालय पर हमला किया गया और उसमें आग लगा दी गई. यह घटना उसी इलाके में पार्टी के कार्यकर्ताओं और गोनो अधिकार परिषद के कार्यकर्ताओं के बीच हुई हिंसक झड़पों के एक दिन बाद हुई.
हमले के बाद, जापा अध्यक्ष के प्रेस सचिव और संयुक्त महासचिव खांडेकर देलवर जलाली ने कहा, “हमलावरों ने ककरैल स्थित जातीय पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आग लगा दी. उन्होंने ग्राउंड फ्लोर पर स्थित लाइब्रेरी की किताबें, महत्वपूर्ण दस्तावेज और फर्नीचर जला दिए.”
खांडेकर देलवर जलाली ने कहा, “यह हमला जातीय पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा अपने निर्धारित कार्यक्रम समाप्त करने और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के अनुरोध पर ऑफिस खाली करने के बाद हुआ. इसके बाद आए लगभग 20 से 30 लोगों ने पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए और आगजनी की घटना को अंजाम दिया.”
मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की आलोचना करते हुए अवामी लीग ने आरोप लगाया कि इस सरकार की शह पर बांग्लादेश में भीड़-आतंकवाद बेरोकटोक चल रहा है. लोगों के अधिकार छीने जा रहे हैं और अंतरिम सरकार चुप है. देशभर में एक के बाद एक अजीबो-गरीब और भयावह घटनाएं सामने आ रही हैं.
अवामी लीग द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि इन घटनाओं के पैटर्न को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि फांसीवादी यूनुस गुट जानबूझकर इन घटनाओं को अंजाम दे रहा है या इसमें पूरी तरह से उदासीनता दिखा रहा है.
पार्टी का कहना है कि केवल एक लालची सरकार ही जिसमें लोगों के प्रति कोई जवाबदेही या जिम्मेदारी की भावना न हो, इतने लापरवाह तरीके से सत्ता पर काबिज हो सकती है. यूनुस गुट ने देश को एक जीता-जागता नर्क बना दिया है.
अवामी लीग ने सभी राजनीतिक रूप से जागरूक और देशभक्त नागरिकों से एकजुट होकर बांग्लादेश और उसके लोगों को इस नर्क की आग से बचाने का आह्वान किया.
हाल ही में, अवामी लीग ने कहा कि 2025 में बांग्लादेश एक लोकतंत्र नहीं रह जाएगा, बल्कि भय, हिंसा और विश्वासघात से ग्रस्त एक राष्ट्र बन जाएगा. पार्टी ने कहा कि मुहम्मद यूनुस की “नाजायज अंतरिम सरकार” में, आजादी का वादा “उत्पीड़न के दुस्वप्न” में बदल गया है, जहां न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है, बल्कि उन्हें नष्ट भी किया जा रहा है.
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