भोपाल (Bhopal) . मध्य प्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य विधेयक के प्रावधान अन्य राज्यों से ज्यादा सख्त तैयार किया है. ‘लव जिहाद’ के खिलाफ सख्त कानून लाया जा रहा है. कानून में दोषियों को 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है. पहले इस बिल में सजा 5 साल प्रस्तावित की गई थी, लेकिन यूपी के बिल को देखते हुए इसे संशोधित किया गया था.
MP Freedom of Religion Bill 2020 की खास बातें
इस विधेयक के मुताबिक, बहला-फुसलाकर, धमकी देकर ज़बरदस्ती धर्मांतरण और विवाह पर 10 साल की सजा होगी
धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 1 माह पूर्व डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन प्रस्तुत करना होगा.
बिल के मुताबिक, बगैर आवेदन प्रस्तुत किए धर्मांतरण कराने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को 5 साल तक की सजा दी जा सकेगी.
बिल के मुताबिक, धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत स्वयं पीड़ित, माता- पिता, परिजन या अभिभावक द्वारा की जा सकती है.
MP Freedom of Religion Bill 2020 के इस विधेयक के मुताबिक, आरोपी को स्वयं ही प्रमाणित करना होगा कि शादी बगैर किसी दबाव, धमकी, लालच या फिर बहला-फुसलाकर की है
बिल में जबरन धर्मांतरण या जबरन शादी संज्ञेय अपराध माना जाएगा और गैर जमानती होगा
MP Freedom of Religion Bill 2020 के मुताबिक, जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का पंजीयन निरस्त किया जाएगा.
धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रस्ट्रिेशन भी निरस्त होगा.
धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही न्यायिक कार्यवाही की जाएगी. बिल के मुतबिक इस बिल के कानूनों के खिलाफ की गई शादी को शून्य करार दिया जाएगा.
महिलाओं, बेटियों विशेषकर नाबालिग बेटियों, अनुसूचित जाति/जनजाति बहनों-भाईयों का नियम विरूद्ध धर्मपरिवर्तन किये जाने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया है. ये प्रावधान न्यूनतम 2 वर्ष से लेकर अधिकतम 10 वर्ष तक है. 50 हजार रुपये तक के अर्थदंड का प्रावधान भी है: सीएम @ChouhanShivraj pic.twitter.com/7czyERp77V
— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) December 29, 2020