संसद का मानसून सत्र : उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने की घटना पर सांसदों ने जताई चिंता

New Delhi, 6 अगस्त . उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में बादल फटने की घटना को लेकर संसद के मानसून सत्र में हिस्सा लेने वाले विपक्षी और सत्तापक्ष के सांसदों ने गहरी चिंता जताई. मीडिया से बातचीत में सांसदों ने इस आपदा के कारणों और समाधान पर अपनी बात रखी.

BJP MP संजय जायसवाल ने कहा कि उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना दुखद है. उन्होंने प्रकृति को नियंत्रित न करने की बात कही और पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वैश्विक पर्यावरण को नहीं सुधारा गया, तो ऐसी घटनाएं बढ़ेंगी.

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी. उन्होंने भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचने के लिए Government से तत्काल कदम उठाने की मांग की.

राज्यसभा सांसद रंजीत रंजन ने इस आपदा को मानव निर्मित बताया और कहा कि उत्तरकाशी का धराली गांव, जहां बादल फटा, वह भागीरथी और खीर गंगा के संगम का अति संवेदनशील क्षेत्र है. ऐसे क्षेत्रों में कंक्रीट का निर्माण क्यों किया जा रहा है? पर्यावरण विशेषज्ञ बार-बार चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन Government ध्यान नहीं दे रही.

राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने केंद्र Government से Himachal Pradesh और उत्तराखंड में हर साल होने वाली आपदाओं के लिए विशेष पैकेज की मांग की और कहा कि इन राज्यों की समस्याओं का स्थायी समाधान जरूरी है.

Samajwadi Party (सपा) के सांसद वीरेंद्र सिंह ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आपदा प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति पर चिंता जताई और कहा कि Government पीड़ितों को न तो रहने की व्यवस्था दे रही है, न दवाइयां, न ही विस्थापितों का ध्यान रख रही है.

उन्होंने Government पर केवल हिंदू-मुसलमान के मुद्दों में उलझने का आरोप लगाया और कहा कि बाढ़ जैसे मुद्दों को संसद में उठाने की अनुमति नहीं दी जा रही, क्योंकि इसे राज्य का विषय बता दिया जाता है. इसके विरोध में सांसदों ने प्रदर्शन किया ताकि Government का ध्यान इस ओर जाए.

एसएचके/एबीएम