झारखंड में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं डाल रहीं वोट, चुनाव आयोग ने जारी किए आंकड़े

रांची, 18 मई . झारखंड में पुरुषों की तुलना में महिलाएं वोट के अधिकार के प्रति ज्यादा सजग हैं. लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में झारखंड में जिन चार सीटों पर वोटिंग हुई थी, उसके फाइनल आंकड़े से यह तथ्य सामने आया है. ये आंकड़े आज राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के. रवि कुमार ने एक प्रेस कांफ्रेंस में जारी किए.

उन्होंने बताया कि सिंहभूम में कुल 10 लाख 3 हजार 482 वोट पड़े हैं, जो कुल मतदाताओं का 69.32 प्रतिशत है. इसमें महिलाओं की संख्या 5 लाख 14 हजार 639 है. यह कुल महिला वोटरों का 69.93 प्रतिशत है. उनकी तुलना में 4 लाख 88 हजार 836 पुरुषों ने वोट डाले और उनका प्रतिशत 68.69 प्रतिशत रहा. इस संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के छह में से सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र सरायकेला में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों का मतदान प्रतिशत अधिक रहा है.

इसी तरह खूंटी लोकसभा सीट में कुल 9 लाख 27 हजार 422 वोट पड़े हैं, जो कुल मतदाताओं का 69.93 प्रतिशत है. इसमें महिलाओं की संख्या 4 लाख 76 हजार 292 रहा और उनका प्रतिशत 70.50 रहा. वोट डालने वाले पुरुषों की संख्या 4 लाख 51 हजार 127 रही और उनका प्रतिशत 69.35 रहा. इस संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के छह में से सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र तमाड़ में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों का मतदान प्रतिशत अधिक रहा है.

लोहरदगा में कुल 9 लाख 57 हजार 690 वोट पड़े हैं, जो कुल मतदाताओं का 66.45 प्रतिशत है. महिला वोटरों की संख्या 4 लाख 99 हजार 182 और उनका प्रतिशत 68.63 रहा. पुरुष वोटरों की संख्या 4 लाख 58 हजार 507 रही. उनका 64.22 रहा. पलामू में कुल 13 लाख 74 हजार 358 वोट पड़े हैं, जो कुल मतदाताओं का 61.27 प्रतिशत है. इसमें महिलाओं का प्रतिशत 64.51 रहा. कुल 6 लाख 96 हजार 787 महिलाओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया. वोट डालने वाले पुरुषों की संख्या 6 लाख 77 हजार 570 रही. प्रतिशत में यह तादाद 64.10 है. इस संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के छह में से सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र डालटनगंज में महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों का मतदान प्रतिशत अधिक रहा है.

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने कहा है कि पांचवें चरण के मतदान के लिए मतदान कर्मियों की रवानगी शुरू हो गई है. पांचवें चरण में चतरा, हजारीबाग और कोडरमा में 20 मई को मतदान होना है. इन सभी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा लोग वोट डालें, इसके लिए आयोग की ओर से हरसंभव प्रयास किए गए हैं.

एसएनसी/एसजीके