चूरू. तालछापर में काले हरिणों का कुनबा लगातार बढ़ता जा रहा है. संख्या बढ़ने के साथ ही इनके रहवास को लेकर परेशानियां हो रही हैं. इस समस्या को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने काले हरिणों को शीघ्र ही नागौर जिले के जसवंतगढ़ में शिफ्ट करने की तैयारी कर ली है.
हरिणों को शिफ्ट करने से पहले विभाग की ओर से उनके लिए ग्रास लैंड तैयार किया जाएगा. साथ ही हरिणों की पसंदीदा मोथीया सहित अन्य घास भी उगाई जाएगी. डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि वन विभाग को तालछापर से हरिणों को शिफ्ट करने के लिए 2230 बीघा जमीन आवंटित कर दी गई है. इसके लिए सरकार की ओर से चार करोड रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है, प्रथम किस्त के तौर पर करीब एक करोड रुपए दिए जाएंगे. तालछापर से पहले चरण में करीब एक हजार व दूसरे चरण में करीब 2200 हरिणों को शिफ्ट किया जाना प्रस्तावित है.
तालछापर अभयारण्य ब्रिटिश काल में बीकानेर के महाराजा का शिकारगाह था. करीब 820 हेक्टेयर में फैला यह अभयारण्य शाही मेहमानों के शिकारगाह के रूप में प्रसिद्ध था. राज्य सरकार ने 1962 में इसे वन्यजीव आरक्षित क्षेत्र घोषित कर यहां शिकार पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया. तालछापर में वर्तमान में 4 हजार से अधिक हरिण हैं. साल दर साल यहां हरिणों का कुनबा बढ़ रहा है. यहां करीब दो दर्जन तरह की ग्रास पाई जाती है. इनमें मोथिया, धामण, करड, डाब, लापला प्रमुख हैं.