New Delhi, 1 अगस्त . राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के एक सर्वे के अनुसार, 76.6 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों ने खपत में वृद्धि दर्ज की है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तेज गति का संकेत है.
जुलाई 2025 के सर्वे से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई की चिंताएं कम हुई हैं क्योंकि 78.4 प्रतिशत से अधिक परिवारों का मानना है कि वर्तमान मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत या उससे कम है. यह मूल्य स्थिरता में सुधार को भी दर्शाता है.
ग्रामीण मुद्रास्फीति पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़ों में भी गिरावट देखी गई, जो कि मार्च में 3.25 प्रतिशत से घटकर अप्रैल में 2.92 प्रतिशत हो गया. मई में यह और घटकर 2.59 प्रतिशत और जून में 1.72 प्रतिशत रह गया.
इसके अलावा, सर्वे से पता चला है कि 20 प्रतिशत से अधिक परिवारों ने बचत में वृद्धि दर्ज की, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिति में सुधार का संकेत है. 52.6 प्रतिशत लोगों ने केवल औपचारिक संस्थानों से ही ऋण लिया.
सर्वे में नौकरियों और आय में वृद्धि की भी रिपोर्ट दी गई, जिसमें 74.7 प्रतिशत लोगों ने अगले वर्ष आय में वृद्धि की उम्मीद जताई और 56.2 प्रतिशत से अधिक लोगों ने अल्पावधि में बेहतर रोजगार की संभावनाओं का अनुमान लगाया.
बढ़ती आय, वित्तीय समावेशन और घरेलू आशावाद के साथ, ये निष्कर्ष ग्रामीण भारत की एक उत्साहजनक तस्वीर दर्शाते हैं.
केंद्र और राज्यों दोनों की ओर से वस्तु और नकद दोनों रूपों में राजकोषीय हस्तांतरण योजनाओं में वृद्धि ने आय और व्यय के स्तर के लिए मजबूत समर्थन दिखाया.
सर्वे में कहा गया है, “इनमें भोजन, बिजली, रसोई गैस, उर्वरक पर सब्सिडी,स्कूल की ज़रूरतों, परिवहन, भोजन, पेंशन और ब्याज सब्सिडी के लिए सहायता शामिल है. औसतन, ये हस्तांतरण एक परिवार की मासिक आय का लगभग 10 प्रतिशत होते हैं.”
इसमें आगे कहा गया है कि ये हस्तक्षेप खासकर कमजोर आबादी के लिए घरेलू मजबूती को काफी बढ़ाते हैं और वित्तीय दबाव को कम करते हैं.
इसके अलावा, जुलाई के सर्वे से यह भी पता चला कि केवल 2.6 प्रतिशत परिवारों ने इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रति अपनी धारणा में गिरावट दर्ज की. यह सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसी बुनियादी सेवाओं के प्रति बढ़ती संतुष्टि को दर्शाता है.
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एसकेटी/