हैती में 7 लाख से ज्यादा लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए : संयुक्त राष्ट्र

संयुक्त राष्ट्र, 3 अक्टूबर . हैती में सात लाख से ज्यादा लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने दैनिक ब्रीफिंग में कहा कि विस्थापित लोगों में आधे से ज्यादा बच्चे शामिल हैं.

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय हाल के महीनों में बढ़ते विस्थापन से बहुत चिंतित है. हैती में हिंसा की बढ़ती घटनाओं ने देश के मानवीय संकट को और भी गहरा दिया है.

स्टीफन दुजारिक ने कहा कि हैती में विस्थापित लोगों की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिसमें लगभग तीन-चौथाई लोग दूसरे प्रांतों में शरण ले रहे हैं. अकेले ग्रैंड सुड क्षेत्र में कुल विस्थापित आबादी का लगभग आधा हिस्सा रहता है. राजधानी पोर्ट-ओ-प्रिंस में सुरक्षा की स्थिति बहुत खराब है. वहां विस्थापितों में से एक चौथाई लोग भीड़ भाड़ वाले स्थानों पर रहते हैं, जहां बुनियादी सेवाओं तक उनकी पहुंच सीमित है.

हैती में स्कूल का नया सत्र मंगलवार को शुरू हुआ. संयुक्त राष्ट्र के मानवीय साझेदार राष्ट्रीय स्कूल वापसी अभियान का समर्थन करने के लिए अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. पिछले वर्ष लगभग 1.4 मिलियन छात्रों और शिक्षकों को जारी असुरक्षा के कारण शिक्षा में गंभीर व्यवधान का सामना करना पड़ा है.

स्टीफन दुजारिक ने आगे कहा कि हैती में बच्चों की शिक्षा को समर्थन देने के लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर कई प्रकार की सहायता प्रदान कर रहा है. जिसमें नगदी हस्तांतरण प्रदान करना शामिल है, ताकि परिवार स्कूल संबंधी खर्चों को पूरा कर सकें, विस्थापित बच्चों को मेजबान स्कूलों में शामिल करने में मदद करना, स्कूल किट वितरण करना और यह सुनिश्चित करना कि स्कूलों का पुनर्वास किया जाए और उनमें पर्याप्त आपूर्ति हो.

उन्होंने कहा, “हालांकि, इन प्रतिक्रिया प्रयासों के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं है. इस वर्ष हैती में बच्चों को शिक्षा सहायता प्रदान करने के लिए आवश्यक 30 मिलियन अमेरिकी डॉलर में से केवल 30 प्रतिशत ही प्राप्त हुआ है.”

स्टीफन दुजारिक ने कहा कि इस साल के लिए मानवीय प्रतिक्रिया योजना के लिए 674 मिलियन डॉलर की आवश्यकता है, लेकिन अभी तक केवल 264 मिलियन डॉलर ही प्राप्त हुए हैं, जो कुल जरूरत का केवल 39 प्रतिशत है. इससे जीवन रक्षक सेवाएं, विस्थापित लोगों की मदद, स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा प्रभावित हो सकती हैं.

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