नई दिल्ली, 4 अक्टूबर . देश के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अवसरों को लेकर केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि इस सेक्टर में पिछले साल 10.02 लाख नए रोजगार सृजन का अनुमान है.
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में नए रोजगार के अवसर पैदा होना स्वच्छ ऊर्जा में देश के बढ़ते नेतृत्व को दिखाता है. इसी के साथ यह सरकार के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाली हरित रोजगार सृजन पर फोकस को दर्शाता है.
पिछले साल भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में जलविद्युत सबसे बड़ा नियोक्ता था, जिसने लगभग 4,53,000 नौकरियां प्रदान की. वैश्विक स्तर पर कुल रोजगार में इसका योगदान 20 प्रतिशत था, जो चीन के बाद सबसे अधिक था.
देश में सोलर पीवी सेक्टर में ऑन-ग्रिड और ऑफ ग्रिड सिस्टम में 3,18,600 पदों पर भर्ती हुई. भारत ने 2023 में 9.7 गीगावाट सौर पीवी क्षमता जोड़ी और नए इंस्टॉलेशन में विश्व स्तर पर पांचवें स्थान पर रहा. यह सौर पीवी क्षमता वर्ष के अंत तक 72.7 गीगावाट तक पहुंच गई थी.
अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) के अनुसार, वैश्विक अक्षय ऊर्जा कार्यबल 2022 में 1.37 करोड़ से बढ़कर 1.62 करोड़ हो गया. इसमें भारत का भी बड़ा योगदान रहा.
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने कहा, “भारत में नवीकरणीय ऊर्जा का विकास जारी है, इससे न केवल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि लाखों लोगों के लिए स्थायी आजीविका का सृजन भी हो रहा है.”
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की परिचालन मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता 2023 में 46 गीगावाट थी और 2024 में इसके 58 गीगावाट तक बढ़ने की उम्मीद है.
इसी तरह, सेल विनिर्माण क्षमता 2023 में 26 गीगावाट थी और 2024 में 32 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है. इस वृद्धि के बाद भारत, चीन के बाद वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा पीवी निर्माता बन जाएगा.
आईआरईएनए की रिपोर्ट का अनुमान है कि 2023 में भारत में ग्रिड से जुड़े सौर पीवी में 2,38,000 नौकरियां थीं, जो 2022 की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक है. इसके अलावा ऑफ-ग्रिड सौर क्षेत्र में लगभग 80,000 लोग काम करते हैं.
इसमें आगे कहा गया है कि भारत में साल 2023 में कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता 44.7 गीगावाट हो गई है, जो विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है. देश ने 2023 में 2.8 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता जोड़ी, जो पांच साल की धीमी वृद्धि के बाद उल्लेखनीय तेजी को दर्शाता है.
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एसकेटी/एकेजे