मोरारी बापू ने की ’12 ज्योतिर्लिंग राम कथा यात्रा’ पर एक डॉक्यूमेंट्री और दो नई किताबें रिलीज

नई दिल्ली, 24 जुलाई . देश और दुनिया के जाने माने आध्यात्मिक गुरु व राम कथावाचक मोरारी बापू ने गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर दो बेहतरीन पुस्तकों तथा एक शानदार डॉक्यूमेंट्री फिल्म रिलीज किया. आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और व्यक्तिगत अनुभवों से बनाई गई यह फिल्म तथा पुस्तकें लोगों को मंत्रमुग्ध करने के साथ-साथ प्रेरणा देने का यकीन दिलाती हैं.

बापू ने फिल्म और किताबों के लॉन्च पर बेहद खुशी जताते हुए इस मौके पर शुभ ‘योग’ की ओर इशारा किया. 21 जुलाई 2023 को इस अविस्मरणीय 12 ज्योतिर्लिंग राम कथा यात्रा को शुरू करने के लिए बापू केदारनाथ पहुंचे थे.

वर्ष 2023 में जुलाई से अगस्त तक आध्यात्मिक गुरु व राम कथावाचक मोरारी बापू और उनके 1008 अनुयायियों द्वारा की गई 12 ज्योतिर्लिंग राम कथा यात्रा को एक घंटे की डॉक्यूमेंट्री फिल्म में बड़ी ही खूबसूरती से दिखाया गया है. इसमें यात्रा के दौरान के भक्तों और स्वयं मोरारी बापू के विचार भी शामिल हैं.

इस यादगार आध्यात्मिक यात्रा ने बारह ज्योतिर्लिंगों के अभूतपूर्व मार्ग को कवर किया, जो भगवान शिव को समर्पित सबसे सिद्ध मंदिर हैं. यह यात्रा 18 दिनों तक चली जिसमें 12,000 किलोमीटर तक का सफर तय किया गया. इसमें हिमालय की बर्फीली चोटियों से लेकर हरी-भरी घाटियों के साथ विशाल समुद्री तटों को भी पार किया गया. ये पुरी यात्रा पूरे भारत को जोड़ती है और केदारनाथ से रामेश्वरम और रामेश्वरम से सोमनाथ तक पूरे भारत की सुंदरता को एक साधु के द्वारा एक रामकथा के नज़र से संवारा गया है.

वहीं उनके द्वारा रिलीज दो किताबों में से एक “एक अदृश्य शक्ति के साथ यात्रा” एक ऐसी बेहतरीन यात्रा का विवरण है, जो बारह ज्योतिर्लिंगों की ऐतिहासिक तीर्थयात्रा के बारे में बताता है. मोरारी बापू और तीर्थयात्रियों ने प्रत्येक ज्योतिर्लिंग के दिव्य दर्शन किए और राम कथा के आध्यात्मिक प्रवचन में मग्न हो गए. बापू ने हर एक पवित्र स्थल से जुड़ी कहानियों, लोककथाओं और किंवदंतियों को एक साथ माला की तरह पिरोया.

इस पुस्तक में यात्रा का काव्यात्मक सौंदर्य साफ झलकता है, जिसमें हर एक जगह के सार की खोज के साथ मंदिरों से जुड़े इतिहास, वास्तुकला और किंवदंतियों को बड़ी गहराई से उकेरा गया है.

12 ज्योतिर्लिंगों की अलौकिक कथा: यादगार 12 ज्योतिर्लिंग राम कथा यात्रा के बाद मोरारी बापू ने अपने अनुयायियों को उनके अनुभव साझा करने को कहा, उनकी प्रविष्टियां, हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषा में स्वीकार की गई थीं. भक्तों के अलग-अलग अनुभवों को समाहित करते हुए कहानियों का भंडार बनाया गया. एक बात जो इस पुस्तक को सबसे ख़ास बनाती है वह इसकी प्रामाणिकता के प्रति प्रतिबद्धता है.

आध्यात्मिक गुरु मोरारी बापू रामायण की कथा सुनाकर ‘सत्य, प्रेम, और दया’ के संदेश का प्रसार करते हैं. वो 65 सालों से पूरे विश्व में राम कथा सुना रहे हैं. उनका जन्म 1946 में शिवरात्रि के दिन गुजरात में हुआ था. मोरारी बापू के दादाजी एवं गुरु, त्रिभुवन दास जी ने उन्हें रामायण का गूढ़ अर्थ समझाया. 12 वर्ष की उम्र तक मोरारी बापू को यह पूरा ग्रंथ याद हो गया और 14 साल की उम्र से उन्होंने रामायण का पाठ करना शुरू कर दिया.

जीकेटी/