नई दिल्ली, 8 फरवरी . केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ‘श्वेत पत्र’ जारी कर दिया है, जिसमें यूपीए के 10 साल और नरेंद्र मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल के हर बिंदुओं की समीक्षा और तुलनात्मक प्रस्तुति दी गई है.
इस ‘श्वेत पत्र’ के जरिए यूपीए सरकार के कार्यकाल का पूरा काला चिट्ठा खोलकर रख दिया गया है. इस श्वेत पत्र में यूपीए सरकार के दौरान के बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार को भी उजागर किया गया है. निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में यह ‘श्वेत पत्र’ पेश किया और अब इसपर शुक्रवार को चर्चा होनी है.
वहीं, राज्यसभा में इस पर शनिवार को चर्चा होनी है. इस ‘श्वेत पत्र’ में केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया है कि 10 साल के कार्यकाल में यूपीए ने देश की अर्थव्यवस्था को कैसे नॉन-परफॉर्मिंग बना दिया. इसमें बताया गया है कि कैसे अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए द्वारा एक मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव रखी गई और उसे यूपीए ने अपने 10 साल के कार्यकाल में कैसे निचले स्तर पर ला दिया.
इसमें बताया गया है कि एनडीए की रखी मजबूत अर्थव्यवस्था की नींव को कैसे यूपीए के कार्यकाल में कमजोर किया गया. इसमें यह भी दिखाया गया है कि वर्ष 2009 से लेकर 2014 के बीच मुद्रास्फीति कैसे बढ़ गई और आम आदमी को इसका खामियाजा कैसे भुगतना पड़ा.
2009 से लेकर 2014 के बीच राजकोषीय घाटा भी अपने उच्च सीमा पर पहुंच गया था. 2010 और 2014 के बीच औसत वार्षिक मुद्रास्फीति की दर दोहरे अंक में पहुंच गई थी. अटल बिहार वाजपेयी के नेतृत्व में जब एनडीए ने कार्यभार संभाला था तो बैंकों का जीएनपीए 16 प्रतिशत था. जब उन्होंने सरकार छोड़ा तो यह 7.8 प्रतिशत पर आ गया था. जबकि, यूपीए के कार्यकाल में 2013 तक यह 12.3 प्रतिशत के आंकड़े को छू गया था.
–
जीकेटी/एबीएम