नई दिल्ली, 2 मार्च . द वर्ल्ड पॉवर्टी क्लॉक की रिपोर्ट भारत के लिए सुकून देने वाली है. इस रिपोर्ट की मानें तो भारत में अब एक्सट्रीम पॉवर्टी 3 प्रतिशत से भी नीचे चली गई है. यानी कि अत्यधिक गरीबी की सीमा से भारत के लोग तेजी से बाहर आए हैं.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की कुल जनसंख्या 143 करोड़ से ज्यादा है, जिसमें से 3.5 करोड़ के करीब लोग अत्यधिक गरीबी की सीमा में हैं जो कुल जनसंख्या का मात्र दो प्रतिशत के करीब है.
इससे पहले नीति आयोग के द्वारा जारी आंकड़ों में भी बताया गया था कि 9 साल में 24.82 करोड़ भारतीय गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश सबसे ज्यादा लोग अत्यधिक गरीबी की रेखा से बाहर निकले हैं.
नीति आयोग की रिपोर्ट में यह भी दर्ज था कि 2013-14 में बहुआयामी गरीबी जो 29.17 प्रतिशत थी वह घटकर 2022-23 में मात्र 11.28 प्रतिशत रह गई है. रिपोर्ट में यह दर्शाया गया था कि तेज रफ्तार से गरीब राज्यों में गरीबी घटी है और इसकी वजह से आर्थिक असमानता में कमी आई है.
अब ऐसे में द वर्ल्ड पॉवर्टी क्लॉक की रिपोर्ट की मानें तो भारत जैसे विशाल देश जहां कई तरह की विविधता है, इसके बावजूद भी गरीबी रेखा में आई कमी इस बात को दिखा रही है कि देश में लगातार गरीबों की संख्या कम हुई है.
विश्व बैंक की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में यह दर्शाया गया था कि 2011 से 2019 के बीच गरीबों की संख्या में 12.3 प्रतिशत की कमी आई थी. ऐसे में द वर्ल्ड पॉवर्टी क्लॉक की रिपोर्ट की मानें तो भारत में गरीबों की संख्या आज भी ग्रामीण क्षेत्र में सर्वाधिक है. इस रिपोर्ट की मानें तो भारत के कुल अत्यधिक गरीबों की संख्या का 94 प्रतिशत हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में ही निवास करता है. जबकि, शहरी क्षेत्र में मात्र 6 प्रतिशत अत्यधिक गरीब ही रहते हैं.
वहीं, इसके साथ हीं विश्व बैंक की तरफ से पूर्व में जारी एक पॉलिसी रिसर्च वर्किंग पेपर के आंकड़ों की मानें तो कांग्रेस राज में भारत में रिकॉर्ड 22.5 लोग अत्यंत गरीबी की श्रेणी में थे.
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