बिहार में बुनियादी सुविधाओं के लिए मोदी सरकार ने खोले खजाने 

पटना, 16 सितंबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बिहार के दौरे में अक्सर कहा करते हैं कि बिहार सहित अन्य पिछड़े राज्यों के विकास के बिना विकसित भारत का सपना पूरा नहीं किया जा सकता है. इसी सोच का परिणाम है कि केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार के लिए खजाना खोल रखा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार बनी सरकार ने 2024-25 के लिए पेश आम बजट में बिहार को 58,900 करोड़ रुपए की राशि आवंटित कर यह पुष्टि कर दी कि बिहार का विकास केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है. इसी तरह बिहार को संघ करों और शुल्कों की नेट प्रोसीड्स में कुल लगभग 1,25,444 करोड़ रुपये मिले है. ऐसा नहीं कि केंद्र सरकार ने बिहार पर कोई पहली बार ‘इनायत’ की हैं. बिहार में मोदी 1.0 और मोदी 2.0 में भी बुनियादी सुविधाओं के लिए कई काम हुए.

आंकड़ों पर गौर करें तो बिहार को पूंजीगत व्यय, निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता के अंतर्गत 2023-24 में 8,814 करोड़, 2022-23 में 8,455 करोड़, 2021-22 में 1,246 करोड़, 2020-21 में 843 करोड़ रुपए दिए गए जो बिहार के विकास में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं.

वैसे, बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठती रही है, लेकिन भाजपा का दावा है कि केंद्र सरकार उससे ज्यादा मदद बिहार को कर रही है. बताया जाता है कि गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 1.71 करोड़ लोगों को राशन दिया जा रहा है. जनधन योजना के तहत वे लोग भी बैंक के दरवाजे तक पहुंचे जो अब तक बैंक नहीं पहुंचे थे. प्रदेश में इस योजना के तहत 5.61 करोड़ से ज्यादा लोगों के बैंक खाते खोले गए.

आवागमन दुरुस्त करने के लिए मोदी सरकार ने 6,800 करोड़ रुपए की लागत से गंगा पर पुल की मंजूरी दी. यही नही पटना में इस दौर में मेट्रो का कार्य शुरू हुआ. इसके अलावा दरभंगा में एयरपोर्ट की शुरुआत की गई तो मधुबनी में 175 करोड़ के प्रधानमंत्री सड़क योजना तथा 230 करोड़ की लागत से असम-दरभंगा एक्सप्रेस वे को मंजूरी दी गई. बक्सर के चौसा में 1360 मेगावाट के पावर प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो गया जबकि कोसी नदी 130 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना को मंजूरी मिली.

बिहार को विकास की मार्ग पर तीव्र गति से अग्रसर करने के लिए तीन एक्सप्रेस-वे को मंजूरी दी गई है. सड़क परियोजनाओं के लिए 26 हजार 710 करोड़ रुपए की स्वीकृति केंद्र द्वारा की गई है, जो अब तक की सर्वाधिक राशि है. पटना में 2007 करोड़ रुपये लागत की 13 किलोमीटर एलिवेटेड सड़क को स्वीकृति दी है. भागलपुर में गंगा पर 2,549 करोड़ रुपए की लागत से 26 किमी लंबी विक्रमशिला- कटरिया न्यू डबल लाइन के साथ ब्रिज की मंजूरी मिली है.

बिहार को स्वावलंबी बनाने तथा रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए गया, भागलपुर और पटना में टेक्सटाइल इंडस्ट्री को कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई. बिहार को संस्कृति एवं अध्यात्म के विश्व पटल पर स्थापित करने का प्रयास हिन्दू, जैन एवं बौद्ध धर्म से जुड़े राजगीर के धार्मिक स्थलों के विकास और गया में विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर कॉरिडोर के माध्यम से किया जा रहा है.

शिक्षा के क्षेत्र में आमतौर पर बिहार को पिछड़ा माना जाता रहा है, लेकिन मोदी सरकार ने कई उल्लेखनीय कार्य किए. मुंगेर , झंझारपुर सहित कई अन्य जिलों में इंजीनियरिंग कॉलेज और मेडिकल कॉलेज खोले गए. शिक्षा के क्षेत्र में प्राचीनतम नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास की पुनर्स्थापना के लिए एनडीए सरकार दृढ़संकल्पित नजर आई. नालंदा के इतिहास से प्रेरणा लेकर प्रदेश में शिक्षा की नयी क्रांति लाने के लिए कटिबद्ध दिखी. 1600 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा यूनिवर्सिटी के कैंपस का शुभारंभ किया तो भागलपुर विक्रमशिला विश्वविद्यालय को भी केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की है. इसके जरिये इन क्षेत्रों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जायेगा एवं गौरवशाली इतिहास की पुनर्स्थापना होगी.

बिहार में बिजली सबसे बड़ी समस्या मानी जाती थी, लेकिन एनडीए सरकार ने आज प्रदेश के सभी घरों तक बिजली पहुँचा दी है.

एमएनपी/एएस