मॉक ड्रिल सरकार की सोची-समझी रणनीति : अरुण साहनी

नई दिल्‍ली, 6 मई . देशभर के कई राज्‍यों में युद्ध के दौरान बचाव के तरीकों को लेकर 7 मई को मॉक ड्रिल की जाएगी. गृह मंत्रालय ने राज्यों को सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल संबंधित जरूरी निर्देश दिए. भारतीय सेना के सेवानिवृत्त जनरल अरुण साहनी ने कहा कि जिस तरह के हालात बन रहे हैं उसमें ड्रिल कराना सरकार की सोची समझी रणनीति है.

समाचार एजेंसी से बातचीत के दौरान भारतीय सेना के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अरुण कुमार साहनी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि 7 मई को होने वाली मॉक ड्रिल के लिए सरकार की सराहना करता हूं, क्योंकि यह एक सोची-समझी रणनीति है. पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आर्थिक प्रतिबंध समेत कई अहम फैसले लिए गए. इसमें सेना को लक्ष्य और समय चुनने का अधिकार भी महत्वपूर्ण है.

उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को सबक सिखाने का संकल्प लिया है. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद हमारी सरकार ने पाकिस्‍तान पर कार्रवाई शुरू कर दी है. सरकार ने सिंधु जल समझौता रद करने, अटारी बार्डर को बंद करने जैसे कई कड़े कदम उठाए हैं. सरकार ने भारतीय सेना को कार्रवाई करने की भी पूरी छूट दे रखी है.

उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पाकिस्‍तान को मुंहतोड़ जवाब देने का फैसला किया है. ऐसे में पाकिस्‍तान क्‍या कार्रवाई करेगा यह हम लोग कह नहीं सकते हैं. अगर वह मैदान में सेना के जवानों को भेजता है तो निश्चित रूप से लड़ाई का माहौल बन जाएगा. ऐसे में जब देश जंग में जाता है तो आमजन की सुरक्षा सर्वोपरि होती है.

वहीं, समाचार एजेंसी को उत्‍तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी ओपी सिंह ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाली आबादी के लिए मॉक ड्रिल जरूरी है. यह अभ्यास इसलिए जरूरी है ताकि नागरिकों को सायरन, अलर्ट सिस्टम और आपात स्थिति में बचाव के तरीकों की व्यावहारिक जानकारी दी जा सके. जंग में सरकार की प्राथमिकता आमजन के जीवन को बचाना होता है. जंग जैसे खतरों के अलग-अलग चरणों के लिए अलग-अलग तैयारियों की आवश्यकता होती है. उन्‍होंने कहा कि मिसाइल या हवाई हमले जैसे बाहरी खतरों के लिए विशेष उपायों की आवश्यकता होती है. उन्‍होंने कहा कि घुसपैठ जैसे आंतरिक सुरक्षा खतरों के लिए नागरिक क्षेत्रों में तैयारियां सुदृढ़ करनी होंगी.

एएसएच/केआर