नर्मदा, 7 फरवरी . गुजरात सरकार ने नर्मदा जिले के आदिवासी समुदाय के समग्र विकास के लिए शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य, महिला स्वावलंबन और रोजगार के साथ-साथ कृषि और पशुपालन के क्षेत्रों में कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं. इनसे यहां के लोग सम्मानपूर्वक जीवन जी रहे हैं.
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने पशुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मोबाइल पशु चिकित्सा क्लीनिक की पहल शुरू की है. इससे दूरदराज के क्षेत्रों में पशुपालकों के पशुओं को उनके घर पर ही चिकित्सा सुविधाएं मिल रही हैं.
नर्मदा जिले में विभिन्न पशुपालन योजनाओं के तहत कुल 3,150 लाभार्थियों को 175.33 लाख रुपये की सहायता प्रदान की गई है. जिले में अनुमानित पशुधन संख्या 3.44 लाख है, जिसमें 1.77 लाख से अधिक गायें, 76 हजार से अधिक भैंसें और 89 हजार से अधिक भेड़-बकरियां शामिल हैं. पशुपालकों को इन पशुओं के लिए राज्य सरकार की पशु देखभाल योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
जिले में कुल 68 पशुपालन संस्थाएं हैं, जिनमें 18 पशु चिकित्सालय, चार मोबाइल पशु चिकित्सालय, 18 ग्रामीण प्राथमिक पशु देखभाल केंद्र और 27 ग्रामीण पशु सुधार उप-केंद्र शामिल हैं. इन सुविधाओं के माध्यम से पशुपालकों को उनके पशुओं के स्वास्थ्य और देखभाल के लिए आवश्यक सेवाएं प्रदान की जा रही हैं.
पशुपालन अधिकारी रविन्द्र वसावा ने बताया, “नर्मदा जिला एक एस्पिरेशनल जिला है, जहां पशुपालन से जुड़ी कई योजनाएं चल रही हैं. इनमें विद्युत चारा कटर, कैटल सेट जैसी कई योजनाएं शामिल हैं. लाभार्थी इनके लिए पोर्टल पर आवेदन करते हैं, फिर उन लोगों को लाभ मिलता है. पशुपालन में गरीब लोग जो कच्चे घर बनाते हैं, उनके लिए पशुओं के रहने की जगह स्वच्छ और बेहतर होनी चाहिए, लेकिन वे ऐसा कर नहीं पाते. इसके लिए सरकार की सब्सिडी योजनाओं का लाभ वे ले सकते हैं. इससे गरीबी दूर करने, रोजगार देने और पशुपालन से दूध उत्पादन के जरिए बिक्री कर आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिलती है.”
लाभार्थी विनोद परमार ने कहा, “मुझे सरकार की तरफ से कैटल सेट मिला है. इसके बन जाने के बाद मेरे मवेशियों के लिए बहुत बड़ी राहत हो गई है. मेरे पशुओं को बारिश से राहत रहती है. मुझे पशुपालन विभाग गांधीनगर से 30 हजार रुपये की सहायता मिली है. मैं सरकार का बहुत आभारी हूं.”
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पीएसएम/एकेजे