महाराष्ट्र में भाषा विवाद पर मनसे ने दी सरकार को चेतावनी, ‘हिंदी को नहीं थोप सकते’

मुंबई, 17 अप्रैल . महाराष्ट्र में भाषा विवाद का मुद्दा गरमाता जा रहा है. राज ठाकरे ने गुरुवार को एक्स पर एक पोस्ट कर सरकार को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बर्दाश्त नहीं करेगी. उनके इस बयान पर पार्टी के मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने कहा कि हमने हमेशा सभी भाषाओं का सम्मान किया है, लेकिन एक भाषा को ज्यादा तवज्जो देना हमें मंजूर नहीं है.

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने से बात करते हुए कहा, “1947 के बाद जिस भारत का निर्माण हुआ, उसमें भाषावार प्रांत की रचना की गई. जिस भी राज्य में जो क्षेत्रीय भाषा बोली जाती है, उसको मान्यता दी गई. जैसे- महाराष्ट्र के लिए मराठी, तमिलनाडु के लिए तमिल, कर्नाटक के लिए कन्नड़, गुजरात में गुजराती और उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में हिंदी भाषा को मान्यता दी गई. मैं इतना ही कहूंगा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है और उसे राष्ट्रीय भाषा का दर्जा भी नहीं दिया गया है, इसलिए क‍िसी राज्य पर इसे थोप नहीं सकते हैं.”

उन्होंने कहा, “हमने हमेशा सभी भाषाओं का सम्मान किया है, लेकिन एक भाषा को ज्यादा तवज्जो देना हमें मंजूर नहीं है. हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं बल्कि उसके थोपने के खिलाफ हैं.”

हिंदी भाषा के विरोध पर संदीप देशपांडे ने कहा, “मनसे इसका विरोध करेगी और हम ऐसा करने वाले अकेले नहीं हैं. तमिलनाडु में भी इसका विरोध हो रहा है और कर्नाटक में भी ऐसा ही हो रहा है. मैं इतना ही कहूंगा कि आप (सरकार) क‍िसी राज्य पर ह‍िंदी को क्यों थोपना चाहते हैं? हमारा विरोध भाषा को थोपने को लेकर है. हम हिंदी भाषा की किताबों को यहां बेचने नहीं देंगे.”

महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में हिंदी भाषा को कक्षा 1 से 5 तक अनिवार्य कर दिया है. सरकार के इस आदेश को लेकर मनसे ने मोर्चा खोल दिया है.

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