ईवीएम मामला : मरकाडवाड़ी गांव के लोगों से खुद जाकर बात करेंगे एमएलसी सदाभाऊ खोत

मुंबई, 9 दिसंबर . महाराष्ट्र के मरकाडवाड़ी गांव में ईवीएम का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. शरद पवार भी इस पर अपनी आवाज उठा चुके हैं. अब इस पर महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य सदाभाऊ खोत का बयान सामने आया है.

ईवीएम को लेकर एक बार फिर महाराष्ट्र में नई सिरे से लड़ाई शुरू हो गई है इस पर से बात करते हुए एमएलसी सदाभाऊ खोत ने कहा, ”मरकाडवाड़ी गांव मेरे चुनाव क्षेत्र में आता है. मैंने लोकसभा के लिए वहां से चुनाव लड़ा था. वह गांव मोहेते पाटिल के खिलाफ लड़ने वाला गांव है और मैं इसीलिए जा रहा हूं. उस गांव के लोगों ने हमें बुलाया है. वह कह रहे हैं कि आप आकर हमसे मिलें, हमने आपको वोट दिया है और महाविकास अघाड़ी, कांग्रेस और शरद पवार के गुट ने हमारे वोट का अपमान किया है.”

”लोगों ने कहा कि आपको हमारे सम्‍मान के लिए वहां आना चाहिए. इसलिए हम वहां मंगलवार को जा रहे हैं.”

आगे कहा, ”मुझे यकीन है कि मंगलवार को जाकर लोगों के साथ हम बात करेंगे और क्या सच है, यह भी हमें भी मालूम चल जाएगा.

इल्तिजा मुफ्ती के बयान का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा, ”वह क्या है कि कई लोगों को हिंदुत्व और सनातन धर्म की बीमारी लग गई है. यह कई लोगों को हुई है. लेकिन, मुझे यह लगता है कि इनकी बीमारी का इलाज पाकिस्तान में है. वहां डॉक्टर और अस्पताल ही इसका सही से इलाज कर पाएंगे.”

लातूर के मामले पर बात करते हुए उन्‍होंने कहा, ”मुझे लगता है कि हमारे किसानों की ज़मीन पर कब्ज़ा वक्फ बोर्ड के माध्यम से हो रहा है और महाराष्ट्र में ऐसा नहीं चलेगा. यह महाराष्ट्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह किसानों का संरक्षण करे. किसानों को डरने की कोई जरूरत नहीं है. उन्हें न्याय मिलेगा.”

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि देश को बहुसंख्यक समुदाय के हिसाब से चलना चाहिए, इस पर वह बोले, ”हां, हमारी हिंदू संस्कृति यह सिखाती है कि हम सबको साथ लेकर चलें, लेकिन, अगर कोई देश पर या हमारी संस्कृति पर हमला करता है, तो हमें चुप नहीं रहना चाहिए.”

अब बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं और विदेश सचिव आज बांग्लादेश के अंतरिम प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे. क्या लगता है, क्या बातचीत से कुछ हल निकलेगा?

उन्‍होंने कहा, ”मुझे लगता है कि जम्मू-कश्मीर के नेता फारुख अब्दुल्ला ने जो कहा है, वह सही है. उन्हें खुद बांग्लादेश जाकर देखना चाहिए कि वहां हिंदुओं की क्या हालत है और यहां के मुस्लिम भाई-बहन किस तरह सुरक्षित रहते हैं. केंद्र सरकार इस मुद्दे पर काम कर रही है और मुझे विश्वास है कि हमारी सरकार बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं की रक्षा करेगी.”

फारुख अब्दुल्ला के बयान पर मैं कहना चाहूंगा कि वह मस्जिदों को लेकर जो बात कर रहे हैं, वह सही नहीं है. उत्तर प्रदेश में अगर किसी मस्जिद को तोड़ा गया है, तो वह बिना अनुमति के नहीं हुआ. जहां तक जमीन पर कब्जे का सवाल है, वह बिना अनुमति नहीं होता.”

एमकेएस/जीकेटी