माइथ्री मूवी मेकर्स ने ‘श्रीमंतुडु’ के 10 साल पूरे होने पर महेश बाबू का जताया आभार

चेन्नई, 7 अगस्त . तेलुगु सिनेमा की ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘श्रीमंतुडु’ के 10 साल पूरे होने पर मेकर्स ने अभिनेता महेश बाबू और निर्देशक कोरटाला शिवा के प्रति आभार व्यक्त किया. ये फिल्म अपने सब्जेक्ट के लिए खासी सराही गई थी.

‘माइथ्री मूवी मेकर्स’ ने फिल्म ‘श्रीमंतुडु’ के साथ प्रोडक्शन की दुनिया में कदम रखा था.

फिल्म के मेकर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर फिल्म को 10 साल पूरे होने पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, “सिनेमा की दुनिया में हमारे सफर को शुरू हुए 10 साल पूरे हो गए, और यह सफर एक ऐसी फिल्म से शुरू हुआ जो तेलुगु सिनेमा में मील का पत्थर बन गया. हम हमेशा सुपरस्टार महेश बाबू सर के आभारी रहेंगे. आपने हमारी प्रोडक्शन कंपनी को वह शुरुआत दी, जिसका हर निर्माता सपना देखता है.

इसी के साथ ही मेकर्स ने इस खास मौके पर निर्देशक कोरटाला शिवा का भी आभार जताया, जिसके लिए उन्होंने लिखा, “हम कोरटाला शिवा सर के हमेशा ऋणी रहेंगे. आपकी दूरदर्शिता ने माइथ्री को नई पहचान दी. ‘श्रीमंतुडु’ सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, बल्कि एक ऐसी भावना थी, जिसने लाखों लोगों के दिलों को छुआ. आपकी शानदार कहानी कहने की कला ने हमें मजबूत नींव दी.”

मेकर्स ने दर्शकों को आभार जताते हुए लिखा, “हर उस दर्शक का धन्यवाद जिन्होंने हमें समर्थन दिया और हमें भारतीय सिनेमा को कुछ सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्में देने में मदद की… दिल से आपका बहुत-बहुत धन्यवाद. दस साल पूरे हो गए, अब एक लंबी कहानी सुनाने की यात्रा बाकी है.”

‘श्रीमंतुडु’ एक तेलुगु एक्शन ड्रामा फिल्म थी, जिसमें महेश बाबू और श्रुति हासन मुख्य भूमिकाओं में थे. 2015 में रिलीज हुई इस फिल्म में जगपति बाबू, राजेंद्र प्रसाद, हरीश उत्थमन, संपत राज और मुकेश ऋषि जैसे सितारे भी अहम किरदारों में थे. फिल्म की कहानी एक अमीर बिजनेसमैन के युवा वारिस के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने पैतृक गांव को गोद लेकर उसका विकास करता है.

फिल्म का संगीत देवी श्री प्रसाद ने दिया था, जबकि सिनेमैटोग्राफी माधी और एडिटिंग कोटागिरी वेंकटेश्वर राव ने किया था. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की थी. इससे भी बड़ी बात, यह फिल्म समाज में बहुत बड़ा बदलाव लाई थी.

बता दें, यह फिल्म देखने के बाद तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों के कई प्रभावशाली लोगों ने गांवों को गोद लेकर उनके आर्थिक विकास में योगदान दिया.

एनएस/केआर