लालू के पोस्ट पर उपेंद्र कुशवाहा के पलटवार पर मीसा भारती ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

पटना, 29 सितंबर . पाटलिपुत्र से लोकसभा सांसद और लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती ने रविवार को लालू प्रसाद यादव के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए पोस्ट, ‘बिहार-बलात्कार’ पर उपेंद्र कुशवाहा की ओर से किए गए पलटवार पर प्रतिक्रिया दी.

मीसा भारती ने रविवार को पटना में पत्रकारों से बातचीत की. इस दौरान लालू प्रसाद यादव के पोस्ट पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष और राज्य सभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा के पलटवार पर प्रतिक्रिया देते हुए मीसा भारती ने कहा कि हम राष्ट्रीय जनता दल के लोग या विपक्ष के नेता ये आरोप लगाते हैं कि घटना आज घटती है और हम चर्चा 20-22 या 25 साल पहले की करते हैं. ये दुर्भाग्यपूर्ण है. घटना आज घटी है, सरकार के मुख्यमंत्री और सरकार का नेतृत्व ये लोग करते हैं, जो लोग इस तरह की बात करते हैं, तो जवाब देना पड़ेगा. मैंने पहले भी कहा था कि प्रशासन पर मुख्यमंत्री की पकड़ कमजोर पड़ती जा रही है.

इसके अलावा उन्होंने राज्य में बाढ़ की स्थिति को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा. मीसा भारती ने कहा कि बाढ़ की स्थिति बिहार में काफी गंभीर है. हम लोगों ने भी स्थिति को देखा है. अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उनके मंत्री, उनके अधिकारी निश्चित तौर पर इस मामले में कहीं ना कहीं पूरी तरह से इंतजाम कर रहे होंगे. हालांकि, पूरे मामले में जनता को यह बताना चाहिए कि वह क्या कर रहे हैं. हमें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मामले को लेकर बिल्कुल गंभीर होंगे.

बता दें कि लालू प्रसाद यादव ने शनिवार को एक्स पर एक पोस्ट में 32 बार ‘बिहार-बलात्कार’ लिखा था. उनकी इस पोस्ट पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, “लालू प्रसाद यादव जी, जिस बिहार ने आपको अपने पलकों पर बिठाया, इतना विश्वास व्यक्त किया…! आज उसी बिहार के लिए 32 बार ‘बिहार=बलात्कार’ कहना बिहारी अस्मिता और बिहार के गौरवशाली इतिहास पर हमला नहीं है क्या?”

उन्होंने आगे कहा, “किसी क्षेत्र में बलात्कार जैसे जघन्य अपराध होना वहां के कुछ लोगों की आपराधिक मानसिकता का परिणाम है. इसके आधार पर पूरे प्रदेश का आपके द्वारा ऐसा नामकरण करना दुर्भाग्य की बात है. खास कर जिनके शासनकाल को बिहार और देशवासियों ने जंगलराज कहा है उन्हें तो कोई नैतिक अधिकार है ही नहीं कुछ बोलने का. आज यदि अपराध की कोई छिटपुट घटनाएं होती हैं तो अविलंब गिरफ्तारी और स्पीडी ट्रायल होता है. वहीं आपके जमाने में तो सीएम हाउस में ही अपराध की पटकथा लिखी जाती थी और अपराधियों को संरक्षण दिया जाता था. आज बिहार में कोई संगठित अपराध या अपराधी नहीं है जैसा की आपके शासन के दौरान उन 15 वर्षो में था. आज भी रूहें कांप जाती है उस काल को याद करके…!

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