दूधी : अस्थमा, पेट और त्वचा के लिए चमत्कारी औषधीय पौधा, जानिए घरेलू उपाय

New Delhi, 28 नवंबर . दूधी एक औषधीय पौधा है, जिसे यूफोरबिया हिर्टा नाम से भी जाना जाता है. इसकी पहचान इसके दूध जैसे सफेद तरल से होती है जो पत्तियों या तने को तोड़ने पर निकलता है.

यह श्वसन तंत्र, पाचन, लिवर, डायबिटीज, त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद है. इसकी जड़, पत्ते और तना सभी स्वास्थ्यवर्धक गुण रखते हैं और इसे घरेलू उपचार के रूप में आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है.

दूधी में फ्लैवोनोइड्स, टैनिक एसिड, ट्राइटरपीनॉइड्स, फाइटोस्टेरोल, शिंकिमिक एसिड और पॉलीफेनोल्स जैसे कई औषधीय तत्व पाए जाते हैं, जो मिलकर इसे शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल बनाते हैं. यह अस्थमा, खांसी, दमा और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों में बहुत कारगर है. इसका काढ़ा बनाकर पीने से फेफड़ों की सूजन कम होती है और सांस लेने में आसानी होती है.

दूधी पाचन तंत्र के लिए भी बहुत लाभकारी है. इसके पत्ते, तना और जड़ का काढ़ा बनाने से दस्त, पेट दर्द, अपच और पेचिश जैसी समस्याएं दूर होती हैं. यह शरीर से जहरीले तत्व निकालने और खून साफ करने में भी मदद करता है. इसके अलावा, दूधी का उपयोग डायबिटीज में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए भी किया जाता है. पत्तियों को सुखाकर पाउडर बनाकर गुनगुने पानी या मिश्री के साथ लेने से फायदा मिलता है. लिवर के लिए भी यह पौधा फायदेमंद है और लिवर इंफेक्शन से बचाता है.

दूधी का इस्तेमाल त्वचा और बालों के लिए भी किया जा सकता है. त्वचा की समस्या होने पर इसका पेस्ट बनाकर सीधे प्रभावित जगह पर लगाया जा सकता है. बालों के लिए इसके पेस्ट या दूध का इस्तेमाल हेयर मास्क की तरह किया जाता है. इससे बाल लंबे, घने और शाइनी बनते हैं और हेयर फॉल भी कम होता है.

दमा में राहत पाने के लिए ताजे पत्तों का रस लिया जा सकता है. इसके अलावा, दूधी का काढ़ा बनाकर पीने या पाउडर के रूप में सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है.

पीआईएम/