मिल्कीपुर विधानसभा ने तोड़ा 2022 का रिकॉर्ड, उपचुनाव में 65.25 प्रतिशत मतदान

लखनऊ, 6 फरवरी . उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर की जनता ने उपचुनाव में अपना 2022 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. यहां मतदाताओं ने वोटों की बारिश की है. 2022 में हुए अब तक के सर्वाधिक 60.23 फीसद मतदान को पीछे छोड़ते हुए उपचुनाव में 65.35 फीसद मतदान हुआ. यह अपने आप में एक नया रिकॉर्ड है.

चुनाव आयोग ने बताया कि मिल्कीपुर विधानसभा में सभी 414 मतदेय स्थलों में मतदान सकुशल संपन्न हुआ. मिल्कीपुर विधानसभा में अनुमानित मतदान 65.35 प्रतिशत हुआ है, जबकि 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां मतदान 60.23 फीसदी हुआ था.

समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मिलकर मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में धांधली को लेकर ज्ञापन सौंपा है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के पोलिंग एजेंटों को मतदान कक्ष से बाहर निकाल देने, पुलिस अधिकारियों द्वारा मतदाताओं की आईडी चेक करने, दर्जनों पोलिंग स्टेशनों पर भाजपा द्वारा फर्जी वोटिंग कराने, बीजेपी नेताओं द्वारा चार पहिया वाहनों के काफिले के साथ निर्वाचन क्षेत्र में घूम-घूम कर चुनाव को प्रभावित किये जाने की शिकायत की.

श्याम लाल पाल ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग को कई ज्ञापन देकर स्वतंत्र, निष्पक्ष, भयमुक्त चुनाव कराने की मांग की गई थी, लेकिन जिला प्रशासन-पुलिस प्रशासन ने निष्पक्ष चुनाव नहीं होने दिया है. उन्होंने कहा कि मिल्कीपुर उपचुनाव में सुबह सात बजे से बड़ी संख्या में शिकायतें आईं. सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी चुनाव में धांधली के वीडियो शेयर किए हैं. मिल्कीपुर भाजपा और सपा के लिए सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा की सीट बनी है.

यहां मतदाताओं ने जमकर अपने-अपने मताधिकार का प्रयोग किया. सबसे ज्यादा मतदान का रिकॉर्ड बना. मिल्कीपुर के विधायक अवधेश प्रसाद के अयोध्या से सांसद बन जाने के बाद यह सीट रिक्त हुई थी. यहां पर उपचुनाव हुआ है. सपा ने यहां से अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को उतारा था. भाजपा ने चंद्रभानु को मैदान में उतारा है. इन दोनों उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला बताया जा रहा है. दोनों दलों के बीच अपने अपने दावे किए जा रहे हैं. सभी उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है. फैसला आठ फरवरी को होगा.

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