सैन्य अधिकारी न केवल युद्ध में निपुण हों, बल्कि उनमें रणनीतिक सोच की क्षमता भी हो : एयर चीफ मार्शल

नई दिल्ली, 25 जून . एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी के मुताबिक आधुनिक युद्ध के गतिशील वातावरण की मांग है कि वरिष्ठ सैन्य अधिकारी न केवल युद्ध में निपुण हों, बल्कि उनमें रणनीतिक सोच की क्षमता व उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य की समझ भी हो. मंगलवार को भारतीय वायु सेना ने तीसरे ‘युद्ध और एयरोस्पेस रणनीति कार्यक्रम (डब्ल्यूएएसपी) के समापन के अवसर पर एक सेमिनार का आयोजन किया. वायु सेना चीफ ने इसी दौरान यह बातें कहीं.

कॉलेज ऑफ एयर वारफेयर और सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के तत्वावधान में “भारत की सामरिक संस्कृति और समकालीन राष्ट्रीय सुरक्षा की अनिवार्यता” विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया. वायु सेना प्रमुख (सीएएस) ने इस कठोर कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए प्रतिभागियों को बधाई दी .

डब्ल्यूएएसपी 15 सप्ताह की अवधि का एक रणनीतिक शिक्षा कार्यक्रम है. इसे 2022 में प्रतिभागियों को भू-राजनीति, शानदार रणनीति और व्यापक राष्ट्रीय शक्ति की गहरी समझ प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था. इसका व्यापक उद्देश्य ऐसे महत्वपूर्ण विचारकों को पोषित करना है, जो रणनीतिक स्तर पर नीति-संचालन विचारों की रचना करने में अंतर-क्षेत्रीय ज्ञान को मिश्रित कर सकें.

इस डब्ल्यूएएसपी में पहली बार तीनों सेनाओं की भागीदारी हुई. प्रतिभागियों में भारतीय वायु सेना के 14 अधिकारी, भारतीय नौसेना के दो अधिकारी, भारतीय सेना के एक अधिकारी और एक शोध विद्वान शामिल थे.

प्रतिभागियों ने रणनीति, सैन्य इतिहास, नागरिक-सैन्य संबंध, उच्च रक्षा संगठन, एयरोस्पेस शक्ति, सूचना युद्ध, प्रौद्योगिकी और हाइब्रिड युद्ध के क्षेत्रों में गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया. कार्यक्रम का मार्गदर्शन एक बाहरी संकाय द्वारा किया गया था, इसमें व्यापक शिक्षण और अनुसंधान अनुभव वाले प्रतिष्ठित व क्षेत्र में कार्यरत विद्वान शामिल थे. कार्यक्रम के स्नातकों को राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय द्वारा सामरिक अध्ययन में पीजी डिप्लोमा प्रदान किया गया.

एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी, वायु सेना प्रमुख (सीएएस) ने सेमिनार का मुख्य भाषण दिया. इसमें रक्षा प्रमुख जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी, एयरोस्पेस शक्ति विषय के विद्वान, शिक्षाविद और वरिष्ठ रक्षा संवाददाता शामिल हुए.

सेमिनार के पहले सत्र में, प्रतिभागियों ने ‘भारत की सामरिक संस्कृति के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का परीक्षण’ और ‘रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से सैन्य दृष्टिकोण’ विषयों पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए. इसके बाद दूसरा सत्र हुआ, इसमें उन्होंने ‘भारत में नागरिक-सैन्य संबंधों का विकास’ और ‘नागरिक-सैन्य समन्वय (सीएमएफ) के लिए भविष्य के परिदृश्य पर उभरते सुरक्षा वातावरण की अनिवार्यता’ विषय पर चर्चा की.

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