उम्र के ‘उस’ पड़ाव पर मेनोपॉज एक कठिन सफर, थेरेपी सहारा देती है

नई दिल्ली, 18 अक्टूबर . महिलाओं के लिए मेनोपॉज यानि रजोनिवृत्ति का सफर भी आसान नहीं होता. शरीर में कई बदलाव आते हैं जो मानसिक तौर पर भी महिला को प्रभावित करते हैं. उम्र के ऐसे पायदान पर अचानक कदम रखती हैं जिसमें त्वचा रूठती से लगती है, शरीर दर्द होने लगता है, मांसपेशियों में खिंचाव रहता है और यह सब मिलकर मेंटल हेल्थ पर असर डाल देता है. आधी आबादी की इसी दिक्कत को समझाता है वर्ल्ड मेनोपॉज डे, जो 18 अक्टूबर को मनाया जाता है.

विश्व रजोनिवृत्ति दिवस की शुरुआत 1984 में की गई थी. विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से इंटरनेशनल मेनोपॉज सोसाइटी ने इसे मनाना शुरू किया. इसका मकसद रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज शब्द का मतलब अंतिम मासिक धर्म काल से है जो अमूमन 40 से 50 साल के बीच होता है.) के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और इस अवधि के दौरान महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करना है.

हर साल एक थीम के साथ जागरूकता अभियान चलाया जाता है. इस बार की थीम मेनोपॉज हार्मोन थेरेपी है. क्या होती है ये थेरेपी इसके बारे में ने कुछ वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों से बात की.

दिल्ली के सीके बिड़ला अस्पताल (आर) के प्रसूति एवं स्त्री रोग की प्रमुख सलाहकार डॉ. तृप्ति रहेजा ने एचआरटी (हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी) के बारे में बात की.

एचआरटी में उन हार्मोन (मुख्य रूप से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) को प्रतिस्थापित किया जाता है, जिनका उत्पादन शरीर रजोनिवृत्ति के दौरान बंद कर देता है. इसे गोलियों, त्वचा के पैच, जैल या क्रीम के रूप में दिया जा सकता है.

एचआरटी प्रभावी रूप से हॉट फ्लैश, रात में पसीना आना और मूड स्विंग की तीव्रता को कम करता है. यह हड्डियों की डेंसिटी को बनाए रखने में मदद करता है, ऑस्टियोपोरोसिस और फ्रैक्चर के जोखिम को कम करता है. यह उन महिलाओं में हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है जो इसे रजोनिवृत्ति के करीब शुरू करती हैं.

डॉक्टर के मुताबिक इमोशन्स को कंट्रोल करने में यह अहम भूमिका निभाता है. कहती हैं, कुल मिलाकर यह नींद, सेक्सुअल हेल्थ और इमोशनल वेल्फेयर में सुधार ला सकता है.

इसके साथ ही डॉक्टर एक चेतावनी भी जारी करती हैं. उनके मुताबिक लाभ के साथ इसके साइड इफेक्ट्स को भी समझना जरूरी है. कहती हैं, जबकि एचआरटी कई लाभ प्रदान करता है, संभावित जोखिमों के बारे में पता होना महत्वपूर्ण है. जिसमें रक्त के थक्के और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है, लंबे समय तक उपयोग और पित्ताशय की पथरी के साथ स्तन कैंसर के जोखिम में मामूली वृद्धि हो सकती है.

वर्तमान में एचआरटी रजोनिवृत्ति के गंभीर लक्षणों से जूझ रही महिलाओं के लिए सुझाया जाता है, खासकर अगर ये उनके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहे हैं. इनमें वो भी शामिल हैं जो ऑस्टियोपोरोसिस के लिए अन्य दवाएं नहीं ले सकती हैं.

हालांकि कुछ कैंसर, रक्त के थक्के या वो महिलाएं जिनका हृदय रोग का इतिहास रहा हो- को वैकल्पिक उपचार के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

वहीं, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. गरिमा साहनी लेजर थेरेपी और पीआरपी की बात करती हैं. डॉक्टर साहनी प्रिस्टिन केयर की सह-संस्थापक भी हैं. उन्होंने एक केस स्टडी से इसे समझाने का प्रयास किया. बताया, मैंने एक मरीज का इलाज किया जो सर्जिकल मेनोपॉज (ओवरीज रिमूवल सर्जरी) के प्रभावों से पीड़ित थी, जिसमें गंभीर वैजाइनल ड्राइनेस और कई दिक्कतें होती हैं.

डॉक्टर बताती हैं, दस साल से अधिक समय से, वह अपने लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए एंटीबायोटिक ले रही थी, फिर भी कुछ बदलाव नहीं आ रहा था. मैंने लेजर थेरेपी और पीआरपी (प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा) उपचार के संयोजन की सलाह दी.

खुशी की बात ये रही कि कुछ ही सत्रों के बाद, उनके लक्षणों में काफी सुधार हुआ. आज, वह दर्द से मुक्त है, खुशहाल हैं और फिर से जीवन का आनंद ले रही है – यह एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे अभिनव और शरीर को तकलीफ दिए बिना रोगी की मदद कर सकता है.

जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म ने हाल ही में एक रिपोर्ट छापी. जिसके मुताबिक पेरिमेनोपॉज के दौरान शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्राडियोल जो एस्ट्रोजेन का सबसे शक्तिशाली रूप है- बदलने लगता है. जिससे अवसाद के लक्षणों में वृद्धि होने लगती है. वहीं, मेनोपॉज में एस्ट्रोजन के कम स्तर से बायपोलर डिसऑर्डर और सिजोफ्रेनिया जैसी समस्याओं से भी जूझना पड़ सकता है. महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान बाइपोलर डिसऑर्डर का भी सामना करना पड़ता है. इसके चलते औरतों में चिड़चिड़ापन, निराशा, तनाव और नींद की कमी देखने को मिलती है.

केआर/