महबूबा मुफ्ती ने एलजी को पत्र लिखकर हजारों कश्मीरियों को हिरासत में लिए जाने पर जताई चिंता

जम्मू, 6 मई . जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्र शासित प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को पत्र लिखकर जांच अभियान के दौरान हजारों कश्मीरियों को हिरासत में लिए जाने पर चिंता जताई.

उपराज्यपाल को लिखे पत्र को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर शेयर करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा, “सोमवार को पहलगाम की मेरी यात्रा के दौरान, कई स्थानीय निवासियों ने पुलिस द्वारा मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने के बारे में गहरी आशंका और चिंता व्यक्त की. पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के बाद, प्रतिक्रिया में व्यापक दमन शामिल है, जिसमें कथित तौर पर हजारों नागरिकों को हिरासत में लिया गया है. मैंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को पत्र लिखकर उनसे इस दृष्टिकोण की तत्काल समीक्षा करने का आग्रह किया है, जो सामूहिक दंड के समान प्रतीत होता है. ऐसे उपायों से उस समय विश्वास की कमी को गहरा करने का जोखिम है, जब कश्मीरियों ने उस अंतर को पाटने के लिए सार्थक कदम उठाए हैं.”

महबूबा मुफ्ती ने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए पत्र में लिखा, “मैं ऐसे समय पर पत्र लिख रही हूं, जब पूरा देश पहलगाम में हुए दुखद और कायराना आतंकी हमले से दुखी है. इस जघन्य कृत्य की पूरे देश में व्यापक रूप से निंदा की गई है, खासकर कश्मीर के लोगों द्वारा. वास्तव में, हमने एक कदम आगे बढ़कर पूर्ण बंद रखा और विरोध में सड़कों पर उतरे. पहली बार एक महत्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित किया.”

आतंकवादी हमलों के खिलाफ कश्मीरियों की एकजुटता को दिखाते हुए उन्होंने लिखा कि कश्मीर के लोगों ने आतंकवाद को खुले तौर पर चुनौती दी और इस महत्वपूर्ण समय के दौरान राष्ट्र के साथ एकजुटता से खड़े रहे. हमले के तुरंत बाद भी, स्थानीय कश्मीरियों ने ही घायलों की मदद की और उन्हें अस्पताल पहुंचाया और रक्तदान किया, किसी एहसान के तौर पर नहीं बल्कि अपने साथी नागरिकों के प्रति एक हार्दिक कर्तव्य के तौर पर.

जांच के दौरान कश्मीरियों की गिरफ्तारी पर चिंता प्रकट करते हुए उन्होंने लिखा, “विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की जवाबी कार्रवाई एक केंद्रित जांच की तरह कम और एक व्यापक तथा अंधाधुंध कार्रवाई की तरह अधिक प्रतीत होती है. तीन हजार से ज्यादा गिरफ्तारियां और लगभग 100 लोगों को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने की रिपोर्ट मिली है. ये संख्याएं चिंताजनक हैं और न्याय को नहीं बल्कि सजा के सामूहिक स्वरूप को दर्शाती हैं. इस दृष्टिकोण से न केवल परिवारों और समुदायों को अलग-थलग करने का जोखिम है, बल्कि यह सवाल भी उठता है कि यह सब हमें कहां ले जाएगा?”

उन्होंने लिखा, “कोई भी लोकतांत्रिक और जिम्मेदार समाज अपने लोगों के साथ इस तरह के व्यवहार को स्वीकार नहीं कर सकता या नहीं करना चाहिए. मैं लंबे समय से कह रही हूं कि कश्मीर के लोगों ने सद्भावना का हाथ बढ़ाया है. लेकिन अब बाकी देश को भी उसी तरह जवाब देना चाहिए. यह बेहद निराशाजनक है कि कुछ आतंकवादियों की हरकत अब यह निर्धारित कर रही हैं कि सुरक्षा एजेंसियां स्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया करती हैं और निर्दोष नागरिकों की गिरफ्तारी का सिलसिला जारी है.”

पीडीपी प्रमुख ने अमरनाथ यात्रा के नजदीक आने के साथ कश्मीरियों की गिरफ्तारी के खिलाफ उपराज्यपाल से हस्तक्षेप का अनुरोध किया ताकि “गिरफ्तारियों और दंडात्मक उपायों की इस नीति” को समाप्त किया जा सके और निर्दोष लोगों की रिहाई सुनिश्चित की जा सके. उन्होंने लिखा, “कश्मीर के लोगों को राहत की सांस लेने दें और यात्रियों का गर्मजोशी और आतिथ्य के साथ स्वागत करने के लिए तैयार रहें, जिसके लिए वे जाने जाते हैं.”

एससीएच/एकेजे