मेरठ मेट्रो के ट्रेन इंटीरियर और यात्री केंद्रित सुविधाओं का अनावरण किया गया

गाजियाबाद, 7 सितंबर . नमो भारत रैपिड ट्रेन के मेरठ साउथ तक चलने के बाद अब शहर में मेट्रो ट्रेन चलाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. मेरठ में 13 स्टेशनों के बीच तीन कोच की मेट्रो ट्रेन का संचालन किया जाएगा.

इस मेट्रो की अधिकतम परिचालन गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है. मेरठ मेट्रो कॉरिडोर की लंबाई 23 किलोमीटर है, जिसमें 18 किलोमीटर का हिस्सा एलिवेटेड है और 5 किलोमीटर का सेक्शन भूमिगत है. मेरठ में कुल 13 स्टेशन हैं. जिनमें से 9 स्टेशन एलिवेटेड और 3 स्टेशन भूमिगत हैं. जबकि एक स्टेशन ग्राउंड लेवल पर होगा.

इन सब के बीच शनिवार को एनसीआरटीसी ने मेरठ मेट्रो के आधुनिक ट्रेन इंटीरियर और यात्री केंद्रित सुविधाओं का अनावरण किया. गाजियाबाद के दुहाई स्थित आरआरटीएस डिपो में इस अनावरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक शलभ गोयल ने इसका उद्घाटन किया.

मेरठ मेट्रो उत्तर प्रदेश के मेरठ में संचालित होने वाली शहरी मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (एमआरटीएस) है, जिसका उद्देश्य शहरवासियों को तेज, सुरक्षित और आधुनिक परिवहन सेवा प्रदान करना है. गोयल ने से बातचीत में कहा कि यह मेट्रो प्रणाली मेरठ के परिवहन में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आएगी. इससे शहर में कनेक्टिविटी, उत्पादकता और जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा.

मेक इन इंडिया अभियान के तहत मेरठ मेट्रो के ट्रेन सेटों का निर्माण भारत में किया जा रहा है. निर्माण का जिम्मा मेसर्स एल्सटॉम को सौंपा गया है, जो इन ट्रेन सेटों के निर्माण के साथ 15 वर्षों तक रखरखाव की जिम्मेदारी भी निभाएगी. ये कंपनी अब तक पांच ट्रेन सेट एनसीआरटीसी को सौंप चुकी है.

मेरठ मेट्रो की ट्रेनों को यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है. वातानुकूलित ट्रेन में यात्रियों के लिए आरामदायक सीटें, सीसीटीवी कैमरे, यूएसबी चार्जिंग पॉइंट और इमरजेंसी कम्युनिकेशन सिस्टम जैसी सुविधाएं होंगी. इसके साथ ही प्लेटफ़ॉर्म स्क्रीन डोर्स (पीसीडी) भी लगाए जाएंगे, जो यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे.

मेरठ मेट्रो के सभी स्टेशन और ट्रेनें सुलभ होंगी, जहां विशेष रूप से महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और विकलांग यात्रियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध होंगी. गोयल ने आगे कहा कि मेरठ मेट्रो का निर्माण कार्य तेजी से प्रगति कर रहा है और 2025 तक यह परियोजना पूरी तरह से जनता के लिए उपलब्ध हो जाएगी.

पीएसके/एएस