New Delhi, 22 अक्टूबर . हिंदी सिनेमा में जितना सिक्का एक्टर्स का चला है, उससे ज्यादा दबदबा अदाकाराओं का रहा है. बीते जमाने की खूबसूरत और सादगी से भरी अदाकारा पर्दे पर आकर फैंस का दिल जीत लेती थी.
उन्हीं अदाकाराओं में से एक थीं मीनू मुमताज. मुमताज नाम की वजह से उन्हें हिंदी सिनेमा में अलग फायदा भी मिला, क्योंकि कभी-कभी लोग उन्हें मुमताज समझने लगते थे.
40 के दशक की फेमस अदाकारा और दिग्गज Actor महमूद की बहन मीनू मुमताज़ का जन्म 1942 में India में हुआ था. उन्होंने 13 साल की उम्र में एक्टिंग में हाथ आजमाना शुरू कर दिया था क्योंकि परिवार को सहारा देना था. मीनू के सात भाई-बहन थे और पिता शराब के नशे में चूर रहते थे. घर की माली हालत इतनी ज्यादा खराब हो गई कि मीनू को नौकरी की तलाश करनी पड़ी.
एक्ट्रेस की मां कभी नहीं चाहती थी कि वो फिल्मों में काम करें, लेकिन पिता के सपोर्ट के साथ उन्होंने 13 साल की उम्र में फिल्मों में कदम रखा. उन्होंने ‘घर घर में दिवाली’ नाम की फिल्म की, जिसमें वो डांसर के तौर पर दिखीं, लेकिन ये फिल्म ज्यादा नहीं चली, जिसके बाद उन्हें 1956 में आई फिल्म ‘सखी हातिम’ में देखा गया, जिसमें भी उन्होंने बतौर डांसर काम किया, लेकिन फिल्म से उन्हें पहचान मिली और फिर बतौर लीड एक्ट्रेस ‘ब्लैक कैट’ में बलराज साहनी के साथ कास्ट किया.
मीनू के लिए ‘ब्लैक कैट’ फिल्म लकी रही, और फिर उन्हें 1957 में आई ‘दो रोटी’, ‘सी.आई.डी.’, ‘नया दौर’, और ‘हलाकू’ में देखा गया. फिल्में पर्दे पर हिट रहीं, लेकिन कुछ ही फिल्मों में उन्हें बतौर लीड एक्ट्रेस काम करने का मौका मिला. मीनू मुमताज़ की जिंदगी में सब कुछ चल रहा था, लेकिन एक फिल्म ने एक्ट्रेस की जिंदगी में भूचाल ला दिया. 1958 में आई फिल्म ‘हावड़ा ब्रिज’ ने उनकी जिंदगी को विरोध से भर दिया. इस फिल्म के एक गाने में उन्होंने अपने ही सगे भाई महमूद के साथ रोमांस किया. उस वक्त फिल्म को बैन तक करने की मांग की गई, क्योंकि लोगों का कहना था कि भाई-बहन के रिश्ते को खराब किया जा रहा है.
महमूद और मीनू दोनों को ही आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था. फिल्मों से ब्रेक लेकर मीनू ने डायरेक्टर एस. अली अकबर से शादी की और देश छोड़कर विदेश में बस गई, लेकिन अचानक उन्हें पता चला कि उनके ब्रेन में ट्यूमर है. बीमारी का इलाज किया गया था, लेकिन अचानक एक्ट्रेस का कनाडा में निधन हो गया.
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पीएस/डीएससी