नई दिल्ली, 1 जून . अमेरिकी शोधकर्ताओं की एक टीम ने अपने अध्ययन में पाया कि मेडिटेरेनियन डाइट यानी भूमध्यसागरीय क्षेत्र का खान-पान इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) यानी पेट और आंतों की समस्या वाले लोगों के लक्षणों को कम कर सकता है.
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम लगभग 4 से 11 प्रतिशत लोगों को होता है. जो लोग इस बीमारी से परेशान हैं, उनमें से ज्यादातर लोग दवाइयों के बजाय सही खान-पान को प्राथमिकता देते हैं.
कम फोडमैप डाइट को अपनाने से आधे से ज्यादा मरीजों के लक्षणों में सुधार होता है, लेकिन इस डाइट का पालन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है.
अमेरिकी मिशिगन मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने ऐसे डाइट विकल्प ढूंढने की कोशिश की जो आसान हों और लोग उन्हें आसानी से अपना सकें. उन्होंने नया डाइट ‘फोडमैप सिंपल’ तैयार किया. इस डाइट में उन्होंने सिर्फ उन्हीं खाने की चीजों पर प्रतिबंध लगाया है, जो आईबीएस के लक्षणों को सबसे ज्यादा बढ़ाती हैं, बाकी चीजों के खाने पर छूट दी गई है.
न्यूरो गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड मोटिलिटी जर्नल में प्रकाशित नई स्टडी के अनुसार, इसमें लोगों को दो समूहों में बांटा गया. एक समूह ने मेडिटेरेनियन डाइट का पालन किया, और दूसरे समूह ने कम फोडमैप डाइट को अपनाया. दोनों डाइट पर बारीकी से नजर रखी गई.
मेडिटेरेनियन डाइट वाले समूह में 73 प्रतिशत मरीजों के लक्षणों में सुधार हुआ. जबकि कम फोडमैप डाइट वाले समूह में यह सुधार 81.8 प्रतिशत मरीजों में देखा गया.
मिशिगन मेडिसिन गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और पेपर के मुख्य लेखक प्रशांत सिंह ने कहा, ”कम फोडमैप डाइट मरीजों के लिए अपनाना मुश्किल हो सकती है. इसमें कई चीजों के खाने पर मना होता है.”
शोधकर्ता ने कहा, ”कम फोडमैप डाइट न सिर्फ महंगी और समय लेने वाली होती है, बल्कि इससे पोषक तत्वों की कमी हो सकती है और खाने के तरीके में दिक्कतें भी आती हैं. इसलिए मेडिटेरेनियन डाइट एक अच्छा विकल्प है.”
मेडिटेरेनियन डाइट पहले से ही डॉक्टरों के बीच बहुत पसंद की जाती है क्योंकि यह दिल, दिमाग और पूरी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होती है.
इससे पहले मेडिटेरेनियन डाइट को लेकर रिसर्च की गई थी, कि यह डाइट आईबीएस पर कैसे असर डालती है, इस रिसर्च में निकले नतीजे एक जैसे नहीं थे.
मिशिगन विश्वविद्यालय में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के प्रमुख विलियम चे ने कहा, ”यह अध्ययन उन सबूतों में से एक है कि मेडिटेरेनियन डाइट आईबीएस वाले मरीजों के लिए मददगार हो सकती है.”
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पीके/एएस