New Delhi, 29 जुलाई . सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को Tuesday को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा. हाईकोर्ट ने मानहानि मामले में उनकी तरफ से दाखिल याचिका को खारिज किया और सजा को बरकरार रखा.
हाईकोर्ट ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की तरफ से दायर आपराधिक मानहानि मामले में मेधा पाटकर की याचिका को खारिज कर दिया और उनकी सजा को बरकरार रखने का फैसला सुनाया.
हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में कोई अनियमितता नहीं होने और उस फैसले के साथ बने रहने की बात कही.
उन्होंने दिल्ली के उपराज्यपाल के खिलाफ मानहानि मामले को साबित करने के लिए एक अतिरिक्त गवाह पेश करने और उससे पूछताछ करने के लिए याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट ने पाटकर की याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी भी की कि उसे निचली अदालत के निष्कर्षों में कोई अवैधता, विकृति या अनियमितता नहीं मिली है.
हाईकोर्ट का फैसला दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के लिए राहत भरा है.
इससे पहले अप्रैल में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. कोर्ट के आदेश के बाद पाटकर की गिरफ्तारी हुई थी. मामले में कोर्ट ने पाटकर को दोषी ठहराते हुए कहा था कि उनके बयान जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण और सक्सेना की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से दिए गए थे.
बता दें कि विनय कुमार सक्सेना ने 2001 में यह मामला दर्ज कराया था, जब वह Ahmedabad स्थित एनजीओ ‘नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के प्रमुख थे. सक्सेना ने कहा था कि मेधा पाटकर ने 25 नवंबर 2000 को जारी एक प्रेस नोट में उन्हें कायर व देश विरोधी बताया था और उन पर हवाला लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया था.
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एससीएच/एबीएम