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उत्तर प्रदेश (बरेली), 16 नवंबर . असम में अरबी-फारसी भाषाओं का विरोध करने पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने Thursday को Chief Minister हिमंता बिस्वा सरमा को अज्ञानी बताया. उन्होंने कहा कि सीएम को कुछ भी पता नहीं है, इसलिए वे बिना सोचे समझे किसी भी मुद्दे पर बयान दे जाते हैं.
समाचार एजेंसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि केंद्र Government इस दिशा में लगातार काम कर रही है. अब तक Government की तरफ से इन भाषाओं के संवर्धन के लिए कई अकादमी संचालित की जा रही हैं. हिंदी, अंग्रेजी, अरबी और फारसी जैसी भाषाओं के संवर्धन के लिए अकादमी चल रही हैं.
इकलौते उत्तर प्रदेश में भी अरबी और फारसी भाषाओं को फलीभूत करने के मकसद से कई तरह के बोर्ड संचालित हो रहे हैं, लेकिन असम में जबसे हिमंता बिस्वा सरमा को Chief Minister पद की कमान मिली है, तब से उन्होंने अरबी और फारसी जैसी भाषाओं की गरिमा पर कुठाराघात करने के लिए कई तरह के कदम उठाए हैं. साथ ही, उन्होंने मदरसों को भी बंद करने की कोशिश की, लेकिन अब इस तरह की स्थिति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता.
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि अब तक असम में 1200 से ज्यादा मदरसे बंद किए जा चुके हैं. Chief Minister ने मदरसे एजुकेशन को पूरी तरह से खत्म कर दिया है. हिमंता बिस्वा सरमा को मुस्लिमों से परेशानी है, इसलिए वो चाहते हैं कि असम में अरबी और फारसी बोलने वाला कोई भी न रहे. Chief Minister अरबी और फारसी जैसी भाषाओं के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि Chief Minister को यह बात समझनी चाहिए कि वे खुद हिंदू धर्म से आते हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें यह समझना चाहिए कि जिस तरह से गुरुकुल और पाठशाला में संस्कृत की पढ़ाई करवाई जाती है, ठीक उसी प्रकार से मुस्लिम धर्म में मदरसों में धार्मिक शिक्षा दी जाती है.
इसके तहत मुस्लिम बच्चों को अरबी और फारसी जैसी भाषाओं का भी ज्ञान दिया जाता है. मदरसे ऐसा करके Government के ऊपर से शिक्षा के बोझ को कम करने की कोशिश करते हैं.
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एसएचके/वीसी