मध्य प्रदेश : चिटफंड घोटाले का मास्टरमाइंड गिरफ्तार, दो करोड़ की गाड़ियां बरामद

ललितपुर/भोपाल 28 अगस्त . मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश सहित देश के कई राज्यों में सैकड़ों करोड़ का चिटफंड घोटाला करने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड और 35 हजार का इनामी रवि शंकर तिवारी गिरफ्तार किया गया है. ललितपुर पुलिस ने दो करोड़ से ज्यादा की गाड़ियां भी बरामद की हैं. गिरोह के आठ आरोपी पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं.

पुलिस की गिरफ्त में आए रवि शंकर तिवारी ने अपने साथियों के साथ बीते एक दशक में एलयूसीसी के अलावा कई कंपनियां बनाईं और लोगों को रकम जमा कर कुछ ही समय में दोगुना देने का वादा किया. इस गिरोह ने हजारों लोगों को बेवकूफ बनाया और उनके करोड़ों की रकम हजम कर ली.

उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले की थाना कोतवाली पुलिस, साइबर क्राइम थाना और स्वाट टीम ने एलयूसीसी नामक चिटफंड कंपनी बनाकर षड्यंत्र कर कूटरचित दस्तावेज तैयार कर लोगों के साथ हजारों करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के मास्टर माइंड और 35 हजार रुपये के इनामी अभियुक्त को गिरफ्तार किया. अभियुक्त के कब्जे से दो करोड़ से अधिक की महंगी गाड़ियां जैसे मर्सिडीज, फॉर्च्यूनर, हुंडई अल्काजार, एवं कम्पनी से सम्बन्धित महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किये गये.

चिटफंड कंपनी के शिकार बने लोगों द्वारा दिये गये प्रार्थना पत्रों में अभियुक्तों रवि तिवारी, जगत सिंह, आलोक जैन आदि द्वारा एक संगठित गिरोह बनाकर अपने आर्थिक लाभ के लिये एलयूसीसी नाम की एक चिटफंड कंपनी के माध्यम से धोखाधड़ी कर विभिन्न व्यक्तियों के रुपये हड़पने और निवेशकों द्वारा अपना रुपया वापस मांगने पर टालमटोल करते हुए गाली-गलौच करने तथा जान से मारने की धमकी देने की सूचना दी गयी थी.

थाना कोतवाली पुलिस मामला दर्ज कर आठ अभियुक्तों नीरज जैन, जगत सिंह, आलोक जैन, राहुल तिवारी, रामनरेश साहू, द्वारिका प्रसाद झां, सुरेन्द्र पाल सिंह, महेश प्रसाद रजक को पूर्व में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है. मुख्य आरोपी रवि शंकर तिवारी पर 35 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया. सर्विलांस, वैज्ञानिक साक्ष्य और अन्य एकत्रित साक्ष्यों की मदद से अभियुक्त को गिरफ्तार किया गया.

आरोपी रविशंकर तिवारी ने पूछताछ के दौरान बताया कि 12वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान वह आलोक जैन के माध्यम से एडवांटेज नामक कम्पनी से जुड़ा था. फिर उसी कंपनी के माध्यम से ललितपुर में लोगों को लुभावनी, लालच भरी स्कीमें बताकर जोड़ना शुरू कर दिया. कमीशन बढ़ने के साथ उसका लालच बढ़ने लगा.

उसने वर्ष 2009 से वर्ष 2012 के बीच चली एडवान्टेज कम्पनी में करीब छह करोड़ रुपये का निवेश लोगों को गुमराह करके करा दिया था और मोटा कमीशन कमाया था. जब लोगों के पैसे वापस करने का समय आया तो समीर अग्रवाल ने कंपनी बंद कर दी. फिर समीर अग्रवाल ने साल 2012 में ऑप्शन वन नामक कंपनी बनायी जिसमें रविशंकर तिवारी ने 50-60 करोड़ रुपये का निवेश कराया और मोटा कमीशन कमाया. जब लोगों के रुपये वापस करने का समय आया तो समीर अग्रवाल ने उस कम्पनी को भी वर्ष 2016 में बंद कर दिया.

रवि शंकर तिवारी की मानें तो समीर अग्रवाल ने एलयूसीसी नाम से एक अलग चिटफंड कम्पनी बनवाई. उसने जानबूझकर इस कंपनी में अलग -अलग राज्यों के लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड का दुरुपयोग करके इस कंपनी के डायरेक्टर और अन्य महत्वपूर्ण पद दे दिये. लेकिन पूरी कंपनी का संचालन समीर अग्रवाल और उसके मुम्बई, इन्दौर, लखनऊ और अन्य राज्यों और जिलों से जुड़े हुए लोगों द्वारा किया जाता था जिनमें रविशंकर तिवारी के अलावा आलोक जैन और अन्य शामिल थे. सभी मंहगे- मंहगे होटलों में सेमिनार करते थे. वहां पर लोगों को लालच देकर विदेश में ले जाकर घुमाते भी थे, ताकि लोगों को लगे कि कम्पनी फर्जी नहीं है.

एसएनपी/एकेजे