New Delhi, 6 सितंबर . जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर से जुड़ी कई फर्जी खबरें और पुराने वीडियो वायरल हो रहे हैं. खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद अजहर को सुरक्षित जगह पर ले जाया गया है.
हालांकि अपनी सुरक्षा को लेकर फिक्रमंद अजहर जानबूझकर सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आ रहा है. भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिन भी आतंकी समूहों को निशाना बनाया गया, उनमें जैश-ए-मुहम्मद को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा.
जैश-ए-मुहम्मद की ताकत का प्रतीक सबसे बड़े ढांचे में से एक, जो बहावलपुर का मुख्यालय था, पर इतना बुरा असर पड़ा कि वह ढांचा अब मौजूद ही नहीं है. इस हमले ने संगठन के गौरव को ठेस पहुंचाई है, और यह इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान में भारतीय सशस्त्र बलों की पहुंच से बाहर कुछ भी नहीं है.
हालांकि, अजहर के इतना निराश होने की सबसे बड़ी वजह निजी नुकसान है. पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए किए गए हमले में, अजहर ने अपने परिवार के दस सदस्यों को खो दिया. इसलिए, खुफिया एजेंसियों का विश्लेषण है कि वह अपने कार्यकर्ताओं की बजाय अपने निजी नुकसान से ज्यादा आहत था.
ऑपरेशन के बाद, अजहर ने कहा कि उसके परिवार के दस सदस्य और उसके चार सहयोगी मारे गए. ये लोग बहावलपुर स्थित जामिया मस्जिद सुभान अल्लाह में मौजूद थे, जो जैश-ए-मुहम्मद का मुख्यालय भी है.
अजहर के हवाले से जारी एक बयान में कहा गया है कि हमले में पांच मासूम बच्चे, उसकी बड़ी बहन और उसका पति मारे गए. हालांकि उसने दावा किया कि उसे न तो कोई अफसोस है और न ही निराशा, लेकिन यह बयान सच से कोसों दूर है.
अजहर की ओर से संवादहीनता से उसके कार्यकर्ता और संगठन के अन्य सदस्य चिंतित हैं. इन घटनाक्रमों के कारण, भर्ती में भारी गिरावट आई है. जैश-ए-मुहम्मद के पास इस समय अजहर की जगह लेने वाला कोई नहीं है.
संगठन का पूरा नेतृत्व अपने कार्यकर्ताओं को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि अजहर सुरक्षित जगह पर है और जल्द ही सामने आएगा. कार्यकर्ताओं को यकीन दिलाने के लिए, नेतृत्व अजहर के पुराने वीडियो और भाषणों को प्रसारित कर रहा है और उन्हें नया बताकर पेश करने की कोशिश कर रहा है. कार्यकर्ता बार-बार पूछ रहे हैं कि उसे सार्वजनिक रूप से क्यों नहीं देखा जा रहा है, जबकि वे सुरक्षा कारणों का हवाला दे रहे हैं.
आईएसआई ने पहले उसे अफगानिस्तान भेजने की कोशिश की थी, लेकिन उसे यह प्रस्ताव बहुत जोखिम भरा लगा. इसके अलावा, आईएसआई और तालिबान के बीच इस समय अच्छे संबंध नहीं हैं क्योंकि आईएसआई ने तालिबान पर तहरीक-ए-तालिबान का समर्थन करने का आरोप लगाया है. इसके बाद आईएसआई ने उसे सेना द्वारा संरक्षित क्षेत्र के पास ले जाने का फैसला किया.
खुफिया अधिकारियों का कहना है कि वह पाकिस्तानी सेना की निगरानी में रावलपिंडी में है. जब यह दावा किया गया कि उसे दिल का दौरा पड़ा है, तो उसे उसी जगह के एक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था. रीनल फेल्योर के बाद उसे फिर से रावलपिंडी ले जाया गया.
जैश-ए-मोहम्मद पर कड़ी नजर रखने वाले सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि अजहर वापसी करेगा, लेकिन इस बार इसमें ज्यादा समय लगेगा, क्योंकि इससे एक निजी नुकसान जुड़ा है. पाकिस्तानी सेना और आईएसआई उसकी सुरक्षा करते रहेंगे क्योंकि वह अभी भी उनकी सबसे मूल्यवान संपत्ति है. अजहर के बिना, जैश-ए-मोहम्मद लगभग खत्म हो चुका है. लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद के बाद वह उनका सबसे ताकतवर प्रतिनिधि है, और आईएसआई उसे किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहेगी.
फिलहाल, वह सेना और आईएसआई की सुरक्षा में है. भारतीय एजेंसियां उस पर कड़ी नजर रख रही हैं क्योंकि उन्हें इस बात में कोई संदेह नहीं है कि देर-सवेर वह फिर से सक्रिय हो जाएगा.
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केआर/