भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों का सकारात्मक रुख जारी: बाजार विशेषज्ञ

मुंबई, 29 मार्च . भारतीय शेयर बाजारों में यह सप्ताह मिलाजुला रहा. इस सप्ताह निफ्टी 50 और सेंसेक्स 30 सूचकांकों में मामूली बढ़त दर्ज की गई, जबकि बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों ने कमजोर प्रदर्शन किया और नकारात्मक दायरे में बंद हुए.

कमजोर वैश्विक संकेतों और आगामी अमेरिकी टैरिफ को लेकर चिंताओं के बावजूद, बाजार में विदेशी निवेशकों की सकारात्मक धारणा जारी रही.

विशेषज्ञों ने शनिवार को कहा कि हाल के महीनों में लगातार बिकवाली के बाद, पिछले कुछ सत्रों में एफआईआई शुद्ध खरीदार बन गए हैं.

नई (अप्रैल) सीरीज के पहले दिन 28 मार्च को बाजार में उतार-चढ़ाव रहा. सेंसेक्स 191.51 अंक या 0.25 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77,414.92 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 72.60 अंक या 0.31 प्रतिशत की गिरावट के साथ 23,519.35 पर बंद हुआ.

बाजार सपाट खुला और पहले हाफ में सुस्त रहा, लेकिन ऑटो और आईटी शेयरों में बिकवाली के दबाव ने दूसरे हाफ में सूचकांकों को नीचे खींच लिया. हालांकि, आखिरी घंटे की खरीदारी ने निफ्टी को 23,500 अंक से ऊपर बंद होने में मदद की.

चॉइस ब्रोकिंग के एक नोट के अनुसार, सप्ताह के लिए, सेंसेक्स और निफ्टी में 0.5 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई, महीने के लिए 6 प्रतिशत की वृद्धि हुई और वित्त वर्ष 2024-25 में 5 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

इस बीच, इंडिया वीआईएक्स 5.31 प्रतिशत गिरकर 12.5750 पर आ गया, जो बाजार में कम अस्थिरता का संकेत देता है. ओपन इंटरेस्ट (ओआई) डेटा 23,600 और 24,000 पर प्रतिरोध का सुझाव देता है, जबकि 23,300 पर मजबूत समर्थन दिखता है.

विशेषज्ञों के अनुसार, 23,800 से ऊपर का ब्रेकआउट आगे की तेजी को बढ़ा सकता है और ट्रेडर्स को अगले ट्रेंड का पता करने के लिए इन स्तरों पर बारीकी से नजर रखनी चाहिए.

बीडीओ इंडिया के फाइनेंशियल सर्विस टैक्स, टैक्स और रेगुलेटरी सर्विस के पार्टनर और लीडर मनोज पुरोहित ने कहा कि एफआईआई प्रवाह हरे निशान में शुरू हुआ है, जिससे वित्त वर्ष के अंतिम सप्ताह के बावजूद भारतीय बाजार में उत्साह लौट आया है, जिसमें आमतौर पर भारी मुनाफावसूली देखी जाती है.

उन्होंने आगे कहा, “दूसरी ओर, एफपीआई कम्युनिटी से संबंधित सेबी द्वारा अपनी बोर्ड बैठक में की गई प्रमुख घोषणाओं में से एक ने एफपीआई को प्रोत्साहित किया है.”

कुल मिलाकर, यह पूंजी बाजार नियामक द्वारा समय पर उठाया गया कदम है, जिसमें विदेशी निवेशक भारत के प्रति सतर्क रुख अपना रहे हैं.

अब सभी की निगाहें अमेरिका के संभावित टैरिफ प्रतिबंधों और आरबीआई के अपनी समीक्षा बैठक में संभावित दर कटौती पर की जाने वाली आगामी घोषणाओं पर टिकी हैं.

एसकेटी/केआर