नई दिल्ली, 12 नवंबर . अमेरिकी के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ की नीति के कारण टैरिफ बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं. साथ ही उन्हें इस बात का भी एहसास है कि चीन के कारण उनके आर्थिक एजेंडे में भारत की एक अहम जगह होने वाली है. दिग्गज निवेशक मार्क मोबियस द्वारा मंगलवार को यह बयान दिया गया.
के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए मोबियस ने कहा कि उच्च टैरिफ के खतरे का सबसे बड़ा फायदा है, दोनों देश कम से कम बातचीत के लिए टेबल पर आएंगे.
उन्होंने आगे विस्तार से बताते हुए कहा कि इस मतलब यह है कि भारत और अमेरिका के प्रतिनिधि बातचीत के लिए टेबल पर आएंगे और ऐसे प्रोग्राम पर कार्य करेंगे, जो कि दोनों पक्षों के लिए सही हो. इसमें अमेरिकी कंपनियों को भारत का बाजार मिलेगा. वहीं, भारतीय कंपनियों को अमेरिका का बाजार मिलेगा.
मोबियस ने से आगे कहा कि अमेरिका की मजबूत अर्थव्यवस्था का मतलब है, मजबूत अमेरिकी कंपनियां, जिनके पास घरेलू के साथ-साथ वैश्विक बाजारों में भी निवेश करने की क्षमता होगी. ऐसे में आने वाले समय में भारत में निवेश बढ़ने की संभावना है.
दिग्गज निवेशक के मुताबिक, ट्रंप के द्वारा चीन पर अधिक टैरिफ लगाने की वकालत करने की एक वजह, चीन द्वारा विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का पालन न करना और उन नियमों का केवल अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना है. इससे अमेरिका में काफी नाराजगी है.
ट्रंप की सत्ता में वापसी से दुनिया को यह संदेश गया है कि वह अब कई नए उपायों के साथ घरेलू अर्थव्यवस्था को तेज विकास पथ पर ले जाएंगे.
मोबियस के मुताबिक, काफी सारे लोग मान रहे हैं कि टैरिफ बढ़ना विदेशियों के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिकी लोगों के लिए भी नकारात्मक है, लेकिन तथ्य यह है कि टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी सरकार के पास अधिक राजस्व आएगा और इससे राजकोषीय घाटा में कमी आएगी. दुनियाभर के अधिकांश व्यवसाय अंततः इन उपायों से तालमेल बिठाने में सक्षम होंगे.
ट्रंप शासन में व्यवसायों को अपने आपूर्ति चैनल भी बदलने होंगे. राष्ट्रपति ट्रंप अमेरिका में कंपनियों पर जो कम कर लगाने जा रहे हैं, उसके परिणामस्वरूप कुल लागत में कमी आएगी.
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एबीएस/एबीएम