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पारादीप (Odisha), 15 नवंबर . भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने 14-15 नवंबर को पारादीप तट पर एक क्षेत्रीय स्तरीय समुद्री खोज एवं बचाव (एसएआर) कार्यशाला और समुद्री अभ्यास का सफल आयोजन किया. तटरक्षक क्षेत्रीय मुख्यालय (उत्तर पूर्व) के निर्देशन में आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम का समन्वय तटरक्षक बल (Odisha) के कमांडर ने किया.
अभ्यास में Odisha के विभिन्न Governmentी विभागों, सुरक्षाबलों और स्थानीय एजेंसियों की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिसने आपदा प्रबंधन में अंतर-एजेंसी सहयोग की मिसाल पेश की.
कार्यक्रम में Odisha राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए), जिला प्रशासन, पारादीप बंदरगाह प्राधिकरण, सीमा शुल्क विभाग, भारतीय नौसेना, समुद्री Police, Odisha Police, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), मत्स्य पालन विभाग, वन विभाग और जिला चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मी शामिल हुए. राष्ट्रीय समुद्री खोज एवं बचाव बोर्ड (एनएमएसएआर) के तत्वावधान में आयोजित इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य समुद्री एवं वैमानिकी आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया, समन्वय और जीवन रक्षा सुनिश्चित करना था.
पहले दिन आयोजित कार्यशाला में प्रतिभागियों को एसएआर प्रोटोकॉल, मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी), खोज-बचाव तंत्र और वास्तविक समय समन्वय की बारीकियां सिखाई गईं. एक्सपर्ट ने विभिन्न परिदृश्यों पर आधारित टेबल टॉप अभ्यास कराया, जिसमें एजेंसियों की जिम्मेदारियां, संसाधन आवंटन और संचार प्रणाली का अनुकरण किया गया. आईसीजी अधिकारियों ने बताया कि समुद्र में दुर्घटना की स्थिति में शुरुआती 6 घंटे सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, जिन्हें ‘गोल्डन ऑवर्स’ कहा जाता है.
दूसरे दिन पारादीप तट पर लाइव समुद्री अभ्यास आयोजित हुआ. आईसीजी की अग्रणी भूमिका में तटरक्षक जहाजों, हेलीकॉप्टरों और फास्ट इंटरसेप्टर बोट्स ने भाग लिया. अभ्यास में डूबते जहाज से यात्रियों की खोज, वैमानिकी बचाव, चिकित्सा ट्राइएज, घायलों को तट पर लाना और अस्पताल पहुंचाना जैसे चरण शामिल थे. अभ्यास के दौरान वास्तविक समय संचार, जीपीएस ट्रैकिंग और ड्रोन निगरानी का उपयोग किया गया, जिससे समन्वय में तेजी आई.
आईसीजी के क्षेत्रीय कमांडर ने बताया कि यह अभ्यास न केवल हमारी तैयारियों का परीक्षण करता है, बल्कि सभी हितधारकों को एक मंच पर लाकर समुद्री सुरक्षा को मजबूत करता है. Odisha तट पर मछुआरों, व्यापारिक जहाजों और तेल रिग्स की संख्या अधिक है, ऐसे में एसएआर क्षमता जीवनदायी है.
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एससीएच/डीएससी