नई दिल्ली, 12 अक्टूबर . जिम्बाब्वे में भारत के पूर्व राजदूत जे.के. त्रिपाठी ने कहा कि दुनिया के कई नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बोलने के तरीके, उनके व्यक्तित्व और काम करने के उनके दृष्टिकोण से प्रभावित हैं.
जे.के. त्रिपाठी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बात करने के ढंग से, उनके व्यक्तित्व से विश्व के कई नेता प्रभावित हैं. उनका मानना है कि पीएम मोदी अनौपचारिक रूप से मिलते हैं और जिस तरह से संवाद करते हैं, उससे एक विचित्र तरह की सकारात्मक ऊर्जा का आभास होता है. इसीलिए बोरिस जॉनसन ने अपनी किताब में लिखा है कि जब वह प्रधानमंत्री मोदी से मिले तो उन्हें सकारात्मक ऊर्जा का एहसास हुआ. “सबका साथ, सबका विश्वास” केवल पीएम मोदी के संबोधन का हिस्सा नहीं है, उन्होंने इसे अपने व्यक्तित्व में जी कर दिखाया है. उन्होंने कभी भी ऐसे बयान नहीं दिए हैं जिनकी व्याख्या विभाजनकारी के रूप में की जा सकती है.
पूर्व राजदूत ने कहा कि ईरान और इजरायल दोनों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं. इसलिए दोनों ने कहा है कि पीएम मोदी के हस्तक्षेप करने से युद्ध टल सकता है और शांति स्थापित हो सकता है. मुझे नहीं लगता कि प्रधानमंत्री को इस मामले में हस्तक्षेप बहुत ही इनिशिएटिव लेकर करना चाहिए. मुझे लगता है कि भारत ऐसी स्थिति में है कि दोनों देशों के बीच में शांति स्थापित करने का प्रयास कर सकता है. सुचारू रूप से वातावरण बना सकता है. लेकिन खुद वहां पर जाकर मध्यस्थ के तौर पर काम करना, मेरे ख्याल से अच्छा नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि कश्मीर के मामले में भारत का रुख हमेशा यही रहा है कि हमें मध्यस्थता की जरूरत नहीं है. जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इमरान खान से कहा था कि अगर आप चाहें तो हम मध्यस्थता कर सकते हैं, तो भारत ने विनम्रतापूर्वक मना कर दिया था. हम अपने द्विपक्षीय संबंधों में किसी तरह के मध्यस्थता की जरूरत को नहीं महसूस कर सकते. ऐसे में अगर हम बीच में कहीं जाकर मध्यस्थ बनेंगे तो वह थोड़ा सा अटपटा लगेगा. हमारी कश्मीर नीति के खिलाफ जाएगा. यह भी लगेगा कि हम कहीं किसी पक्ष के साथ पक्षपात तो नहीं कर रहे हैं. हम वह नहीं करेंगे. हम समुचित वातावरण तैयार करने का काम कर सकते हैं, उन्हें भारत बुला सकते हैं. उनका स्वागत कर सकते हैं. भारत का कद इतना बड़ा है कि दुनिया हमारी बात को गंभीरता से लेती है. पीएम मोदी के पास एक ऐसी रचनात्मकता और सकारात्मकता है, जिससे वह लोगों को प्रभावित कर सकते हैं.
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एकेएस/एकेजे