औरंगजेब को ‘पवित्र’ कहना अक्षम्य, आसिफ शेख की टिप्पणी पर बोले मनोज तिवारी

मुंबई, 23 जून . औरंगजेब के बारे में विवादित टिप्पणी को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व विधायक आसिफ शेख विवादों में घिर गए हैं. उन्होंने मुगल आक्रमणकारी को ‘पवित्र’ व्यक्ति बताया, जिसके बाद भाजपा समेत कई पार्टियों ने तल्ख टिप्पणी की.

कांग्रेस के पूर्व विधायक शेख ने कथित तौर पर कहा कि औरंगजेब सभी धर्मों का सम्मान करता था और उनके साथ सौहार्दपूर्ण व्यवहार करता था. उन्होंने महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक विमर्श की भी आलोचना करते हुए कहा कि औरंगजेब को बदनाम करना और उसके नाम पर वोट हासिल करना ही इस समय हो रहा है.

भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने उनके विचारों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह कांग्रेस पार्टी की असली विचारधारा का प्रतिबिंब है.

हालांकि, शेख अब इस पुरानी पार्टी से जुड़े नहीं हैं. पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने इंडियन सेक्युलर लार्जेस्ट असेंबली ऑफ महाराष्ट्र (इस्लाम) नाम से अपनी पार्टी बनाई थी.

मनोज तिवारी ने समाचार एजेंसी से खास बातचीत में कहा कि कांग्रेस की असली विचारधारा उसके नेताओं के माध्यम से सामने आती रहती है. यह व्यक्ति औरंगजेब को पवित्र व्यक्ति कह रहा है. क्या इसका मतलब यह है कि उसने छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे संभाजी महाराज के साथ जो व्यवहार किया, वह उचित था?

तिवारी ने आगे कहा कि अगर कोई औरंगजेब का इतिहास पढ़ेगा, तो वह भयभीत हो जाएगा. हर भारतीय जो मानवता को महत्व देता है, औरंगजेब द्वारा किए गए अत्याचारों को याद करके गुस्से से कांप उठता है. छत्रपति संभाजी महाराज की क्रूर यातनाओं से लेकर मंदिरों के विनाश, जबरन धर्मांतरण और महिलाओं के अपमान तक, उसने अक्षम्य अपराध किए. अगर कोई नेता ऐसे घृणित व्यक्ति को ‘पवित्र’ कहता है, तो यह उस पार्टी की गहरी आहत भावना को दर्शाता है.

भाजपा सांसद ने लोकप्रिय पंजाबी गायक और अभिनेता दिलजीत दोसांझ से जुड़े विवाद पर भी बात की, जिन्हें अपनी आगामी फिल्म सरदार जी 3 में पाकिस्तानी अभिनेत्री हनिया आमिर को लेने के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है. उनकी फिल्म में पाकिस्तानी एक्ट्रेस को लेने का निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए घातक आतंकवादी हमले के महज दो महीने बाद लिया गया है, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे.

मनोज तिवारी ने कहा कि पाकिस्तानी कलाकारों के साथ कोई सांस्कृतिक संबंध, कोई आदान-प्रदान या कोई सहयोग नहीं होना चाहिए. उन्हें भारतीय फिल्मों या भारत के किसी भी मंच पर काम नहीं दिया जाना चाहिए. यह पूरे देश में प्रचलित भावना है, खासकर हमारे सैनिकों के रक्तपात और बलिदान के बाद.

पीएसके/डीएससी