भाजपा जिन्हें कट्टरपंथी बताती है, उनकी बदौलत ही सरकार में है : मनोज पांडेय

रांची, 25 सितंबर . वक्फ बोर्ड को लेकर संसद भवन में पेश विधेयक इन दिनों संयुक्त संसदीय कमेटी (जेपीसी) के पास है. जेपीसी इस पर विचार विमर्श कर रही है. इस पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने जेपीसी को पत्र लिखकर बड़े पैमाने पर एक जैसी भाषा वाले सुझाव आने के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका जताई है. इस पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने निशिकांत दुबे पर निशाना साधा है.

उन्होंने कहा, “कट्टरपंथी शब्द बोल देने से कुछ नहीं होता. देश में दस साल से तो आपकी सरकार है. आप कह रहे हैं कि इस देश में कट्टरपंथी भी हावी हो रहे हैं. कट्टरपंथियों की बदौलत ही आप सत्ता में हैं. आप धार्मिक भावनाओं को भड़काते हैं. हमने देखा कि वक्फ बोर्ड के मामले पर कैसे भाजपा की आईटी सेल ने इस मुद्दे पर बहुत व्यापक प्रचार प्रसार करके लोगों को गुमराह करने का काम किया.”

बता दें कि विधेयक पर विस्तार से विचार विमर्श करने के लिए बनाए गए जेपीसी के सदस्य एवं भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बड़े पैमाने पर एक जैसी भाषा वाले सुझाव आने के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका जताते हुए गृह मंत्रालय से इसकी जांच करवाने की मांग की है.

निशिकांत दुबे ने जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल को पत्र लिखकर कहा है कि वक्फ विधेयक को लेकर जेपीसी को मिले 1 करोड़ 25 लाख के लगभग सुझाव अपने आप में महत्वपूर्ण हैं और यह वैश्विक रिकॉर्ड भी है, लेकिन इससे जुड़ी चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

भाजपा सांसद ने कहा कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि इसमें से कितने सुझाव भारत के अंदर से आए हैं और कितने सुझाव विदेश से आए हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें सामने आ रही हैं कि इसमें से बड़े पैमाने पर आए सुझावों का कंटेंट या तो समान है या इसमें थोड़ा बहुत फेरबदल है.

उन्होंने भारत से भागे हुए जाकिर नाइक और जमात-ए-इस्लामी एवं तालिबान सहित अन्य कट्टरपंथी संगठनों एवं व्यक्तियों की भूमिका के साथ-साथ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और चीन की एजेंसी की मंशा पर सवाल उठाते हुए पत्र में यह भी कहा कि इनकी भागीदारी गंभीर चिंता का विषय है. ये संस्थाएं और देश लंबे समय से भारत को अस्थिर करने और हमारे लोकतंत्र को कमजोर करने के षड्यंत्र रचते रहे हैं. इतने बड़े पैमाने पर आए सुझाव और उसके कंटेंट को देखते हुए यह लग रहा है कि विदेशी शक्तियां देश के बाहर से भारत के विधायी कार्य को प्रभावित करने का प्रयास कर रही हैं.

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