मन की बात कार्यक्रम, जन-जन की आवाज बना : वीरेंद्र सचदेवा

नई दिल्ली, 25 मई . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 122वें एपिसोड के माध्यम से देशवासियों को संबोधित किया. पीएम मोदी ने इस दौरान कई स्वदेशी (स्थानीय उत्पादों) के बारे में चर्चा की.

‘मन की बात’ के 122वें एपिसोड पर दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि प्रधानमंत्री का कार्यक्रम ‘मन की बात’ वास्तव में जन की आवाज बन गया है. यह हर बार व्यापक जानकारी और नई सीख प्रदान करता है. प्रधानमंत्री ने स्वदेशी (स्थानीय उत्पादों) को बढ़ावा देने के बारे में जानकारी दी तो वहीं, ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बारे में बात की. उन्होंने बिहार में ‘खेलो इंडिया’ इवेंट पर प्रकाश डाला, जिसमें 5,000 से अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया, और मधुमक्खी पालन के बारे में भी बात की. इस कार्यक्रम के लिए मैं प्रधानमंत्री का बहुत बड़ा शुक्रगुजार हूं. ‘मन की बात’ के माध्यम से समग्र जनता को ज्ञान का भंडार मिलता है.

‘मन की बात’ के 122वें एपिसोड पर बिहार सरकार में मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में सेना की बहादुरी और भारत की जीत का जश्न मनाने के लिए देशभर में निकाली गई तिरंगा यात्रा के बारे में बात की. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे पूरा देश देशभक्ति में एकजुट हो गया, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद. प्रधानमंत्री ने विभिन्न स्थानीय शिल्प और लघु-स्तरीय उत्पादनों पर भी चर्चा की. साथ ही साथ देश के विभिन्न हिस्सों में क्राफ्ट, उत्पाद के बारे में चर्चा की.

बता दें कि पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मधुमक्खियों के संरक्षण पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि मैं एक पहल साझा करना चाहता हूं जो हमें याद दिलाती है कि मधुमक्खियों का संरक्षण न केवल एक पर्यावरणीय जिम्मेदारी है, बल्कि हमारी कृषि और आने वाली पीढ़ियों के लिए भी महत्वपूर्ण है. यह उदाहरण पुणे शहर से आता है, जहां एक हाउसिंग सोसायटी ने एक बार मधुमक्खियों की कॉलोनी को हटाने का फैसला किया था, शायद डर या सुरक्षा की चिंता के कारण. हालांकि, निवासियों ने मधुमक्खियों के बारे में जानने की पहल की और दूसरों को भी इसमें शामिल करना शुरू कर दिया. अमित नाम के एक युवा ने तय किया कि मधुमक्खियों को हटाना नहीं, उन्हें बचाना चाहिए. धीरे-धीरे उन्होंने एक टीम बनाई, जिसे उन्होंने नाम दिया ‘बी-मित्र’, जो मधुमक्खियों के छत्तों को एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित तरीके से ट्रांसफर करते हैं, ताकि लोगों को खतरा न हो और मधुमक्खियां भी जिंदा रहें.

डीकेएम/एएस