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New Delhi, 26 अक्टूबर . Prime Minister Narendra Modi ने महान क्रांतिकारी और आदिवासी नेता कोमाराम भीम को याद किया है. ‘मन की बात’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए Prime Minister मोदी ने देश के युवाओं से आग्रह किया है कि वे उनके बारे में अधिक से अधिक जानने का प्रयास करें.
Prime Minister मोदी ने 20वीं सदी के प्रारंभिक काल का जिक्र करते हुए कहा कि उस दौर में ब्रिटिश शासन और हैदराबाद के निजाम के अत्याचार चरम पर थे. ऐसे में मात्र 20 वर्ष की आयु में कोमाराम भीम ने अन्याय के खिलाफ हथियार उठाए.
उन्होंने कहा, “20वीं सदी का शुरुआती कालखंड, तब दूर-दूर तक आजादी की कहीं कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी. पूरे India में अंग्रेजों ने शोषण की सारी सीमाएं लांघ दी थीं और उस दौर में हैदराबाद के देशभक्त लोगों के लिए दमन का दौर और भी भयावह था. वे क्रूर और निर्दयी निजाम के अत्याचारों को भी झेलने को मजबूर थे. ऐसे कठिन समय में करीब बीस साल का एक नौजवान इस अन्याय के खिलाफ खड़ा हुआ था.”
उन्होंने बताया कि उस दौर में जब निजाम के खिलाफ एक शब्द बोलना भी गुनाह था, उस नौजवान ने सिद्दीकी नाम के निजाम के एक अधिकारी को खुली चुनौती दी थी. निजाम ने सिद्दीकी को किसानों की फसलें जब्त करने के लिए भेजा था, लेकिन अत्याचार के खिलाफ इस संघर्ष में उस नौजवान ने सिद्दीकी को मौत के घाट उतार दिया.
Prime Minister ने कहा, “कोमाराम भीम की उम्र 40 साल थी, लेकिन उन्होंने आदिवासी समाज समेत लाखों लोगों के दिलों में अमिट स्थान बनाया. वे अपनी रणनीतिक कुशलता के लिए प्रसिद्ध थे और निजाम की सत्ता के लिए बड़ी चुनौती बने. 1940 में निजाम के लोगों ने उनकी हत्या कर दी.”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “अभी 22 अक्टूबर को ही कोमाराम भीम की जन्म-जयंती मनाई गई. अपने जीवन-काल में उन्होंने अनगिनत लोगों, विशेषकर आदिवासी समाज के हृदय में अमिट छाप छोड़ी. उन्होंने निजाम के खिलाफ संघर्ष कर रहे लोगों में नई ताकत भरी. वे अपने रणनीतिक कौशल के लिए भी जाने जाते थे. निजाम की सत्ता के लिए वे बहुत बड़ी चुनौती बन गए थे.”
इस मौके पर Prime Minister मोदी ने युवाओं से कहा, “मैं आग्रह करता हूं कि वे उनके बारे में अधिक जानें और उनके संघर्ष से प्रेरणा लें.”
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डीसीएच/