नई दिल्ली, 30 मार्च . प्रधानमंत्री ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में देशवासियों से फूलों की खास यात्रा की बात की. उन्होंने बताया कि फूल सिर्फ मंदिरों की शोभा या घर की सजावट तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अब इनसे नए-नए प्रयोग हो रहे हैं. पीएम ने महुआ के फूलों से बनी कुकीज और गुजरात के कृष्ण कमल की कहानी साझा की, जो लोगों को प्रेरित कर रही है.
पीएम ने कहा कि महुआ के फूल गांवों और आदिवासी समुदायों के लिए खास हैं. मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के राजाखोह गांव में चार बहनों ने महुआ से कुकीज बनाना शुरू किया. उनकी मेहनत से ये कुकीज इतनी पसंद की जा रही हैं कि मांग बढ़ती जा रही है. एक बड़ी कंपनी ने इन बहनों को फैक्ट्री में काम करने की ट्रेनिंग दी. इससे प्रेरित होकर गांव की कई महिलाएं भी इस काम में जुट गईं. तेलंगाना के आदिलाबाद जिले की दो बहनों की कहानी भी कम रोचक नहीं है. उन्होंने महुआ के फूलों से तरह-तरह के पकवान बनाए, जिनमें आदिवासी संस्कृति की झलक है. लोग इन पकवानों को खूब पसंद कर रहे हैं. पीएम ने कहा कि ये महिलाएं अपने जज्बे से फूलों की यात्रा को नई दिशा दे रही हैं.
इसके बाद पीएम ने गुजरात के एकता नगर में खिलने वाले ‘कृष्ण कमल’ का जिक्र किया. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास यह फूल पर्यटकों को खूब भा रहा है. एकता नगर के आरोग्य वन, एकता नर्सरी, विश्व वन और मियावाकी जंगल में लाखों कृष्ण कमल के पौधे लगाए गए हैं. ये फूल वहां की सुंदरता बढ़ा रहे हैं और लोगों का ध्यान खींच रहे हैं.
पीएम ने कहा, “आप भी अपने आसपास फूलों की ऐसी खास कहानियां देखें और मुझे लिखें.”
उन्होंने देशवासियों से अपील की कि वे अपने अनुभव और विचार साझा करें. पीएम ने कहा, “हो सकता है, आपके आसपास कुछ ऐसा हो जो आपको आम लगे, लेकिन दूसरों के लिए नया और रोचक हो.”
उन्होंने अगले महीने फिर ‘मन की बात’ में मिलने का वादा किया और कहा कि ऐसी कहानियां हमें प्रेरणा देती हैं. कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सबका धन्यवाद किया और नमस्कार कहा.
इस बार ‘मन की बात’ में फूलों की अनोखी यात्रा ने सबका ध्यान खींचा. महुआ से कुकीज और कृष्ण कमल की कहानी न सिर्फ नए प्रयोगों को दिखाती है, बल्कि मेहनत और स्थानीय संस्कृति की ताकत को भी सामने लाती है.
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एसएचके/केआर