मन की बात : पीएम मोदी ने अपने 115वें संबोधन में व‍िभ‍िन्‍न क्षेत्रों में भारत की उन्नति का क‍िया जिक्र

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिए देश को 115 वीं बार संबोधित किया. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बिरसामुंडा, कार्टून कैरेक्टर छोटा भीम, भारतीय संस्कृति स्वामी विवेकानंद का जिक्र किया. साथ ही उन्होंने आत्मनिर्भर भारत की उपलब्धियों को गिनाते हुए डिजिटल अरेस्ट, भारतीय संस्कृति और फिट इंडिया कैंपेन पर भी लोगों को जागरूक किया.

उन्होंने कहा, “पिछले वर्ष 15 नवंबर को मैं भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उनके जन्म स्थान झारखंड के उलिहातू गांव गया था. इस यात्रा का मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा. मैं देश का पहला प्रधानमंत्री हूं, जिसे इस पवित्र भूमि की मिट्टी को अपने माथे से लगाने का सौभाग्य मिला. उस पल मैंने न केवल स्वतंत्रता संग्राम की ताकत को महसूस किया, बल्कि इस धरती की शक्ति से जुड़ने का भी अवसर मिला. मैंने महसूस किया कि कैसे एक संकल्प को पूरा करने का साहस देश के करोड़ों लोगों का भाग्य बदल सकता है. भारत में हर युग ने कुछ चुनौतियों का सामना किया है और हर युग में ऐसे असाधारण भारतीयों ने जन्म लिया, जिन्होंने इन चुनौतियों का मुकाबला किया. आज के ‘मन की बात’ में मैं ऐसे ही दो महानायकों की चर्चा करूंगा, जिनके पास साहस भी था और दूरदर्शिता भी. देश ने उनकी 150वीं जयंती मनाने का निर्णय लिया है. 31 अक्टूबर से सरदार पटेल की 150वीं जयंती का वर्ष शुरू होगा. इसके बाद 15 नवंबर से भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती का वर्ष शुरू होगा. इन दोनों महापुरुषों के सामने चुनौतियां अलग-अलग थीं, लेकिन उनका विजन एक ही था, ‘देश की एकता’.”

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “ बीते वर्षों में देश ने ऐसे महान नायकों और नायिकाओं की जयंती को नई ऊर्जा के साथ मनाया है और नई पीढ़ी को नई प्रेरणा दी है. आपको याद होगा, जब हमने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई थी, तो कितनी ही विशेष बातें हुईं थीं. न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर से लेकर अफ्रीका के एक छोटे से गांव तक, दुनिया के लोगों ने भारत के सत्य और अहिंसा के संदेश को समझा, उसे फिर से सीखा, जीया. युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक, भारतीयों से लेकर विदेशियों तक, सभी ने गांधी जी की शिक्षाओं को नए संदर्भों में समझा, नई वैश्विक परिस्थितियों में समझा. जब हमने स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती मनाई, तो देश के युवाओं ने भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति को नई परिभाषाओं में समझा. इन योजनाओं ने हमें यह अहसास कराया कि हमारे महापुरुष अतीत में खोए नहीं हैं, बल्कि उनका जीवन हमारे वर्तमान को भविष्य का रास्ता दिखाता है.”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “ वैसे तो सरकार ने इन महान विभूतियों की 150वीं जयंती को राष्ट्रीय स्तर पर मनाने का फैसला किया है, लेकिन आपकी भागीदारी ही इस अभियान में जान डालेगी, इसे जीवंत बनाएगी. मैं आप सभी से आग्रह करूंगा कि आप इस अभियान का हिस्सा बनें. हैशटैग सरदार 150 के साथ लौह पुरुष सरदार पटेल से जुड़े अपने विचार और उनके कार्यों को साझा करें और हैशटैग बिरसा मुंडा 150 के साथ बिरसा मुंडा की प्रेरणाओं को दुनिया तक पहुंचाएं. हम सब मिलकर इस महोत्सव को भारत की विविधता में एकता का उत्सव बनाएं, इसे विरासत से विकास का उत्सव बनाएं.”

इसके बाद प्रधानमंत्री ने भारतीय मशहूर कार्टून कैरेक्टर छोटा भीम के जरिए भारतीय एनीमेशन सेक्टर को मिले बूस्ट का जिक्र करते हुए कहा, “आपको वो दिन तो याद ही होंगे जब टीवी पर “छोटा भीम” आना शुरू हुआ था. बच्चे कभी नहीं भूल सकते कि ‘छोटा भीम’ को लेकर कितनी उत्सुकता थी. आपको आश्चर्य होगा कि आज ‘ढोलकपुर का ढोल’ सिर्फ़ भारत में ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों में भी बच्चों को अपनी ओर आकर्षित करता है. इसी तरह हमारे दूसरे एनीमेटेड सीरियल, ‘कृष्णा’, ‘हनुमान’, ‘मोटू-पतलू’ के भी दुनिया भर में प्रशंसक हैं. भारत के एनिमेशन कैरेक्टर, यहां की एनिमेशन फिल्में, अपने कंटेंट और क्रिएटिविटी की वजह से पूरी दुनिया में पसंद की जा रही हैं. आपने देखा होगा कि स्मार्टफोन से लेकर सिनेमा स्क्रीन तक, गेमिंग कंसोल से लेकर वर्चुअल रियलिटी तक, हर जगह एनिमेशन मौजूद है. भारत एनिमेशन की दुनिया में एक नई क्रांति लाने की राह पर है. भारत का गेमिंग सेक्टर भी तेजी से बढ़ रहा है. भारतीय खेल भी आजकल पूरी दुनिया में मशहूर हो रहे हैं. कुछ महीने पहले, जब मैं भारत के प्रमुख गेमर्स से मिला, तो मुझे भारतीय गेमर्स की अद्भुत क्रिएटिविटी और क्वालिटी को समझने का अवसर मिला. वाकई, पूरे देश में क्रिएटिव एनर्जी की लहर दौड़ रही है. एनीमेशन की दुनिया में ‘मेड इन इंडिया’ और ‘मेड बाई इंडियंस’ का बोलबाला है. आपको यह जानकर खुशी होगी कि आज भारतीय प्रतिभाएं विदेशी प्रोडक्शन का भी अहम हिस्सा बन रही हैं. चाहे वह मौजूदा स्पाइडर-मैन हो या ट्रांसफॉर्मर्स, लोगों ने इन दोनों ही फिल्मों में हरिनारायण राजीव के योगदान की तारीफ की है. भारतीय एनीमेशन स्टूडियो डिज्नी और वार्नर ब्रदर्स जैसी विश्व प्रसिद्ध प्रोडक्शन कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.”

उन्होंने कहा, “आज हमारे युवा ऐसे मौलिक भारतीय कंटेंट तैयार कर रहे हैं, जो हमारी संस्कृति को दर्शाते हैं. इन्हें पूरी दुनिया में देखा जा रहा है. एनिमेशन सेक्टर ने एक ऐसे उद्योग का रूप ले लिया है, जो दूसरे उद्योगों को भी मजबूती दे रहा है. उदाहरण के लिए, इन दिनों वर्चुअल टूरिज्म बहुत लोकप्रिय हो रहा है. आप वर्चुअल टूर के जरिए अजंता की गुफाओं को देख सकते हैं, कोणार्क मंदिर के गलियारे में घूम सकते हैं या वाराणसी के घाटों का आनंद ले सकते हैं. ये सभी वीआर एनिमेशन भारतीय क्रिएटर्स द्वारा बनाए गए हैं. वर्चुअल टूरिज्म के जरिए इन जगहों को देखने के बाद बहुत से लोग इन पर्यटन स्थलों को हकीकत में देखना चाहते हैं. यानी किसी पर्यटन स्थल का वर्चुअल टूर लोगों के मन में जिज्ञासा पैदा करने का माध्यम बन गया है. आज इस सेक्टर में एनिमेटरों के साथ-साथ स्टोरी टेलर, लेखक, वॉयस ओवर एक्सपर्ट, संगीतकार, गेम डेवलपर, वीआर और एआर एक्सपर्ट की मांग भी लगातार बढ़ रही है. इसलिए, मैं भारत के युवाओं से कहूंगा- अपनी रचनात्मकता का विस्तार करें. कौन जानता है, दुनिया का अगला सुपरहिट एनिमेशन आपके कंप्यूटर से ही निकल सकता है! अगला वायरल गेम आपकी ही रचना हो सकती है! एजुकेशनल एनिमेशन में आपका इनोवेशन बड़ी सफलता हासिल कर सकता है. कल 28 अक्टूबर को विश्व एनिमेशन दिवस भी मनाया जाएगा. आइए, हम भारत को वैश्विक एनिमेशन पावर हाउस बनाने का संकल्प लें.”

साथ ही उन्होंने स्वामी विवेकानंद का जिक्र करते हुए कहा,“ स्वामी विवेकानंद ने कभी सफलता का मंत्र दिया था. उनका मंत्र था, ‘एक विचार लो, उस एक विचार को अपना जीवन बना लो, उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो, उसे जीना शुरू कर दो.’ आज आत्मनिर्भर भारत अभियान भी सफलता के उसी मंत्र पर चल रहा है. ये अभियान हमारी सामूहिक चेतना का हिस्सा बन चुका है. हर कदम पर ये हमारी प्रेरणा बन चुका है. आत्मनिर्भरता हमारी नीति ही नहीं, बल्कि हमारा जुनून बन चुका है. बहुत समय पहले की बात नहीं है, सिर्फ 10 साल पहले की बात है, जब कोई कहता था कि भारत में एक जटिल तकनीक विकसित करनी है, तो कई लोग इस पर विश्वास नहीं करते थे, कई लोग इसका मजाक उड़ाते थे. लेकिन आज वही लोग देश की सफलता को देखकर चकित हैं. भारत आत्मनिर्भर बन रहा है और हर क्षेत्र में कमाल कर रहा है. जरा सोचिए, जो भारत कभी मोबाइल फोन आयात करता था, आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्माता बन गया है. कभी दुनिया में सबसे ज्यादा रक्षा उपकरण खरीदने वाला भारत आज 85 देशों को निर्यात कर रहा है. अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया है, और एक बात मुझे सबसे अच्छी लगी, वो ये कि आत्मनिर्भरता का ये अभियान अब सिर्फ सरकारी अभियान नहीं रहा, अब आत्मनिर्भर भारत अभियान जन-जन का अभियान बन रहा है – हम हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, इसी महीने हमने लद्दाख के हान्ले में एशिया के सबसे बड़े ‘इमेजिंग टेलीस्कोप मेस’ का भी उद्घाटन किया है. ये 4300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ये ‘मेड इन इंडिया’ है. सोचिए, ऐसी जगह जहां -30 डिग्री तक ठंड होती है, जहां ऑक्सीजन की कमी होती है, वहां हमारे वैज्ञानिकों और स्थानीय उद्योग ने वो कर दिखाया, जो एशिया के किसी देश ने नहीं किया. हान्ले टेलीस्कोप भले ही दूर की दुनिया को देख रहा हो, लेकिन ये हमें एक और चीज भी दिखा रहा है और वो है आत्मनिर्भर भारत की ताकत.”

उन्होंने वोकल फ़ॉर लोकल’ का मंत्र दोहराते हुए कहा, “मैं चाहता हूं कि आप एक काम करें. आत्मनिर्भर भारत के ल‍िए क‍िए जा रहे प्रयासों को जितना हो सके, उतने लोगों को शेयर करें. आपने अपने आस-पड़ोस में कौन-सा नया इनोवेशन देखा, किस लोकल स्टार्टअप ने आपको सबसे ज्यादा प्रभावित किया, इस जानकारी को हैशटैग आत्मनिर्भर भारत इनोवेशन के साथ सोशल मीडिया पर लिखें और आत्मनिर्भर भारत का जश्न मनाएं. इस त्योहारी सीजन में हम सब आत्मनिर्भर भारत के इस अभियान को मजबूत बनाएं. हम ‘वोकल फ़ॉर लोकल’ के मंत्र के साथ अपनी खरीदारी करें. ये वो नया भारत है, जहां असंभव सिर्फ़ एक चुनौती है, जहां मेक इन इंडिया अब मेक फ़ॉर द वर्ल्ड बन गया है, जहां हर नागरिक इनोवेटर है, जहां हर चुनौती एक अवसर है. हमें न सिर्फ भारत को आत्मनिर्भर बनाना है, बल्कि अपने देश को इनोवेशन के वैश्विक पावरहाउस के रूप में भी मजबूत करना है.”

इसके बाद उन्होंने देश में इन दिनों फैल रहे साइबर क्राइम ‘डिजिटल अरेस्ट’ को लेकर एक जालसाज पुलिसकर्मी का वीडियो दिखाया, जिसमें वो पुलिसकर्मी एक आम आदमी को ठगने की कोशिश करता है. इस वीडियो में एक शख्स पुलिस की वर्दी में नज़र आ रहा है और वो आम आदमी से उसका आधार कार्ड मांगता है.

इस पर प्रधानमंत्री ने कहा, “ये ऑडियो सिर्फ जानकारी के लिए नहीं है, ये मनोरंजन के लिए नहीं है, ये ऑडियो एक गहरी चिंता लेकर आया है. अभी आपने जो बातचीत सुनी, वो ‘डिजिटल अरेस्ट’ के फर्जीवाड़े के बारे में है. ये बातचीत एक पीड़ित और एक जालसाजों के बीच हुई है. ‘डिजिटल अरेस्ट’ के फर्जीवाड़े में कॉल करने वाले पुलिस, सीबीआई, नारकोटिक्स, आरबीआई जैसे कई लेबल लगाकर फर्जी अधिकारी बनकर बात करते हैं और बड़े आत्मविश्वास के साथ करते हैं. ‘मन की बात’ के कई श्रोताओं ने मुझसे कहा कि इस पर चर्चा ज़रूर होनी चाहिए. आइए मैं आपको बताता हूँ, ये धोखेबाज़ गिरोह कैसे काम करता है, ये खतरनाक खेल क्या है? ये समझना आपके लिए तो बहुत ज़रूरी है ही, दूसरों के लिए भी समझना उतना ही जरूरी है. पहली चाल, वो आपकी निजी जानकारी इकट्ठा कर रख लेते हैं. “आप पिछले महीने गोवा गए थे न? आपकी बेटी दिल्ली में पढ़ती है न?” वो आपके बारे में इतनी जानकारी इकट्ठा करते हैं कि आप दंग रह जाएंगे. दूसरी चाल यह है कि डर का माहौल बनाओ, वर्दी, सरकारी दफ्तर का सेटअप, कानूनी धाराएं, ये आपको फोन पर बातचीत में इतना डरा देंगे कि आप सोच भी नहीं पाएंगे. और फिर शुरू होती है इनकी तीसरी चाल, समय का दबाव, ‘आपको अभी फैसला करना होगा, वरना आपको गिरफ्तार होना पड़ेगा.‘ ये लोग पीड़ित पर इतना मनोवैज्ञानिक दबाव बनाते हैं कि वो डर जाता है. डिजिटल गिरफ्तारी के शिकार हर वर्ग, हर उम्र से हैं. डर के कारण लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई लाखों रुपये गंवा दिए हैं. अगर आपके पास कभी ऐसा कॉल आए तो आपको डरना नहीं चाहिए. आपको पता होना चाहिए कि कोई भी जांच एजेंसी कभी भी फोन कॉल या वीडियो कॉल पर इस तरह पूछताछ नहीं करती है. मैं आपको डिजिटल सुरक्षा के तीन स्टेप बताता हूँ. ये तीन स्टेप हैं- ‘रुको-सोचो-कार्रवाई करो’. कॉल आते ही ‘रुको’- घबराओ नहीं, शांत रहो, जल्दबाजी में कोई कदम मत उठाओ, अपनी निजी जानकारी किसी को मत दो, हो सके तो स्क्रीनशॉट लेकर रिकॉर्डिंग कर लो. इसके बाद आता है दूसरा स्टेप, पहला स्टेप था ‘इंतजार करो’, दूसरा स्टेप है ‘सोचो’. कोई भी सरकारी एजेंसी इस तरह फोन पर नहीं धमकाती, न वीडियो कॉल पर पूछताछ करती है, न इस तरह पैसे मांगती है – अगर आपको डर लगता है, तो समझ लीजिए कि कुछ गड़बड़ है. और पहला स्टेप, दूसरा स्टेप और अब मैं कहता हू तीसरा स्टेप. पहले स्टेप में मैंने कहा, ‘इंतजार करो’, दूसरे स्टेप में मैंने कहा, ‘सोचो’, और तीसरे स्टेप में मैं कहता हूँ, ‘कार्रवाई करो’. नेशनल साइबर हेल्पलाइन 1930 डायल करो और रिपोर्ट करो. परिवार और पुलिस को सूचित करो, सबूत सुरक्षित रखो. ‘इंतजार करो’, बाद में ‘सोचो’, और फिर ‘कार्रवाई करो’, ये तीन स्टेप आपकी डिजिटल सुरक्षा के रक्षक बनेंगे.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं फिर कहूंगा कि कानून में ‘डिजिटल अरेस्ट’ जैसा कोई प्रावधान नहीं है, ये सिर्फ धोखाधड़ी है, छल है, झूठ है, बदमाशों का गिरोह है और ऐसा करने वाले समाज के दुश्मन हैं. डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर चल रही धोखाधड़ी से निपटने के लिए विभिन्न जांच एजेंसियां ​​राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रही हैं. इन एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र की स्थापना की गई है. ऐसी धोखाधड़ी करने वाली हजारों वीडियो कॉलिंग आईडी एजेंसियों द्वारा ब्लॉक की गई हैं. लाखों सिम कार्ड, मोबाइल फोन और बैंक खाते भी ब्लॉक किए गए हैं. एजेंसियां ​​अपना काम कर रही हैं, लेकिन ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर हो रही ठगी से बचने के लिए बहुत जरूरी है. हर किसी की जागरूकता, हर नागरिक की जागरूकता. जो लोग इस तरह की साइबर धोखाधड़ी का शिकार होते हैं, उन्हें इसके बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताना चाहिए. जागरूकता के लिए आप हैशटैग सेफ डिजिटल इंडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं. मैं स्कूलों और कॉलेजों से भी कहूंगा कि वे साइबर ठगी के खिलाफ अभियान में छात्रों को शामिल करें. समाज के सभी लोगों के प्रयास से ही हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं.”

उन्होंने कहा, “हमारे कई स्कूली बच्चे सुलेख में बहुत रुचि रखते हैं. इसी के माध्यम से हमारी लिखावट स्वच्छ, सुंदर और आकर्षक बनी रहती है. आज जम्मू-कश्मीर में स्थानीय संस्कृति को लोकप्रिय बनाने के लिए इसका इस्तेमाल हो रहा है. यहां अनंतनाग की फिरदौसा बशीर जी ने सुलेख में महारत हासिल की है, जिसके माध्यम से वो स्थानीय संस्कृति के अनेक पहलुओं को सामने ला रही हैं. फिरदौसा जी की सुलेख कला ने स्थानीय लोगों, विशेषकर युवाओं को आकर्षित किया है. इसी तरह का प्रयास उधमपुर के गोरीनाथ जी भी कर रहे हैं. एक सदी से भी ज्यादा पुरानी सारंगी के माध्यम से वो डोगरा संस्कृति और विरासत के विभिन्न रूपों को सहेजने में लगे हैं. सारंगी की धुनों के साथ वो अपनी संस्कृति से जुड़ी प्राचीन कहानियों और ऐतिहासिक घटनाओं को रोचक अंदाज में बताते हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में आपको ऐसे कई असाधारण लोग मिल जाएंगे, जो सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए आगे आए हैं. डी. वैकुंठम करीब 50 वर्षों से चेरियल लोक कला को लोकप्रिय बनाने में लगे हैं. तेलंगाना से जुड़ी इस कला को बढ़ावा देने के उनके प्रयास अद्भुत हैं. चेरियल पेंटिंग तैयार करने की प्रक्रिया बहुत अनूठी है. इसमें स्क्रॉल के रूप में ‘कहानियां’ सामने आती हैं. इसमें हमारे इतिहास और पौराणिक कथाओं की पूरी झलक मिलती है. छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के बटलूराम मथरा अबूझमाड़िया जनजाति की लोक कला को सहेजने में लगे हैं. वो पिछले चार दशकों से इस मिशन में लगे हुए हैं. उनकी कला लोगों को ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ और ‘स्वच्छ भारत’ जैसे अभियानों से जोड़ने में भी काफी कारगर रही है.”

प्रधानमंत्री ने भारतीय कला के प्रसार का जिक्र करते हुए कहा, “ अभी हम बात कर रहे थे कि कैसे कश्मीर की घाटियों से लेकर छत्तीसगढ़ के जंगलों तक हमारी कला और संस्कृति नए रंग बिखेर रही है, लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती. हमारी इन कलाओं की खुशबू दूर-दूर तक फैल रही है. दुनिया के अलग-अलग देशों में लोग भारतीय कला और संस्कृति से मंत्रमुग्ध हो रहे हैं. जब मैं आपको उधमपुर में गूंज रही सारंगी के बारे में बता रहा था, तो मुझे याद आया कि कैसे हजारों मील दूर रूस के शहर याकुत्स्क में भी भारतीय कला की मधुर धुन गूंज रही है. कल्पना कीजिए, सर्दी के एक-दो दिन, माइनस 65 डिग्री तापमान, चारों तरफ बर्फ की सफेद चादर और वहां एक थिएटर में दर्शक मंत्रमुग्ध होकर देख रहे हैं कालिदास की “अभिज्ञान शाकुंतलम”. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि दुनिया के सबसे ठंडे शहर याकुत्स्क में भारतीय साहित्य की गर्माहट कैसी होगी! यह कल्पना नहीं है, यह सच है. एक ऐसा सच जो हम सभी को गर्व और आनंद से भर देता है.

इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी लाओस यात्रा से कुछ यादगार पलों को याद करते हुए कहा, “ कुछ सप्ताह पहले, मैं भी लाओस गया था. यह नवरात्रि का समय था और वहां मैंने कुछ अद्भुत देखा. स्थानीय कलाकार ‘लाओस की रामायण’ प्रस्तुत कर रहे थे. उनकी आंखों में वही भक्ति, उनकी आवाज में वही समर्पण, जो हमारे दिलों में रामायण के लिए है. इसी तरह, कुवैत में श्री अब्दुल्ला अल-बरुन ने रामायण और महाभारत का अरबी में अनुवाद किया है. यह कार्य केवल अनुवाद नहीं है, बल्कि दो महान संस्कृतियों के बीच एक सेतु है. उनके प्रयासों से अरब जगत में भारतीय साहित्य की एक नई समझ विकसित हो रही है. पेरू से एक और प्रेरक उदाहरण है. एरलिंडा गार्सिया वहां के युवाओं को भरतनाट्यम सिखा रही हैं और मारिया वाल्डेज़ ओडिसी नृत्य का प्रशिक्षण दे रही हैं. इन कलाओं से प्रभावित होकर ‘भारतीय शास्त्रीय नृत्य’ दक्षिण अमेरिका के कई देशों में धूम मचा रहा है.”

फिट इंडिया की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा, “देश के बड़े हिस्से में सर्दियां शुरू हो गई हैं, लेकिन फिटनेस के प्रति जुनून, फिट इंडिया की भावना – किसी भी मौसम से प्रभावित नहीं होती. जो फिट रहने का आदी हो जाता है, उसे सर्दी, गर्मी, बारिश की परवाह नहीं होती. मुझे खुशी है कि भारत में लोग अब फिटनेस को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक हो रहे हैं. आप भी देख रहे होंगे कि आपके आस-पास के पार्कों में लोगों की संख्या बढ़ रही है. पार्क में टहलते बुजुर्गों, युवाओं और परिवारों को योग करते हुए देखकर मुझे अच्छा लगता है. मुझे याद है कि जब मैं योग दिवस पर श्रीनगर में था, तो बारिश के बावजूद भी इतने सारे लोग ‘योग’ के लिए जुटे थे. कुछ दिन पहले श्रीनगर में हुई मैराथन में भी मैंने फिट रहने का यही उत्साह देखा था. फिट इंडिया की यह भावना अब एक जन-आंदोलन बनती जा रही है.”

पीएम मोदी ने कहा, “ मुझे यह देखकर भी खुशी होती है कि हमारे स्कूल अब बच्चों की फिटनेस पर पहले से ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. फिट इंडिया स्कूल ऑवर्स भी एक अनूठी पहल है. स्कूल अपने पहले पीरियड का उपयोग फिटनेस की विभिन्न गतिविधियों के लिए कर रहे हैं. कई स्कूलों में, किसी दिन बच्चों को योग कराया जाता है, किसी दिन एरोबिक्स सेशन होते हैं, किसी दिन खेल कौशल पर काम किया जाता है, किसी दिन खो-खो और कबड्डी जैसे पारंपरिक खेल खेले जाते हैं, और इसका प्रभाव भी बहुत अच्छा होता है. उपस्थिति बढ़ रही है, बच्चों की एकाग्रता बढ़ रही है और बच्चे मौज-मस्ती भी कर रहे हैं.”

पीएसएम/