मणिपुर के सीएम एन. बीरेन सिंह ने पर्यावरण क्षरण पर जताई चिंता

इंफाल, 3 फरवरी . मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार को बड़े पैमाने पर वनों की कटाई के कारण पर्यावरण के क्षरण और जल स्रोतों के विलुप्त होने पर चिंता जताई.

भूजल को पानी के स्रोत के रूप में उपयोग करने की आवश्यकता पर बल देते हुए मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने बताया कि लघु सिंचाई विभाग के अंतर्गत 500 से अधिक ग्राउंड ड्रिलिंग पंप स्थापित किए गए हैं.

कांचीपुर के लीशांग हिडेन में विश्व वेटलैंड दिवस 2025 के अवसर पर आयोजित एक समारोह में बोलते हुए उन्होंने जल निकायों को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य सरकार की पहल पर प्रकाश डाला.

उन्होंने बताया कि यारल-पैट का जीर्णोद्धार किया जा चुका है. लाम्फेलपैट वॉटरबॉडी परियोजना का कायाकल्प लगभग 650 करोड़ रुपये की परियोजना लागत के साथ किया गया था.

मुख्यमंत्री ने बताया कि इंफाल नदी और कोंगबा नदी सहित विभिन्न नदियों के सौंदर्यीकरण का कार्य 86 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा.

मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने कहा कि वे स्वयं भी पर्यावरण के प्रति काफी चिंतित हैं तथा उन्होंने कुछ वर्ष पहले नम्बुल नदी की खस्ताहाल स्थिति को भी याद किया.

सीएम बीरेन सिंह ने कहा कि नदी की सफाई की प्रक्रिया 2004 में तब शुरू हुई थी, जब वह वन एवं पर्यावरण मंत्री (कांग्रेस सरकार में) थे.

उन्होंने कहा कि 2017 में मणिपुर का मुख्यमंत्री बनने के बाद, नम्बुल नदी के पुनरुद्धार और संरक्षण का काम जारी रहा. नम्बुल नदी के किनारे के घरेलू कचरे को पाइपलाइनों के माध्यम से लाया जाता है और मोंगसांगेई में जल उपचार संयंत्र में उपचार किया जा रहा है.

मणिपुर सरकार की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बड़े पैमाने पर अफीम की खेती के कारण वनों की कटाई से पारिस्थितिकी तंत्र पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़े हैं, जिनमें मिट्टी का कटाव, जैव विविधता की हानि और स्थानीय जलवायु में परिवर्तन शामिल हैं.

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